कोविड के दौरान कोटा में गंभीर वायरस की पहचान की चुनौती उजागर हुई थी। कोविड के डेल्टा जैसे वैरिएंट की समय पर पहचान नहीं हो पाने के कारण कई रोगियों की जान चली गई थी। स्पीकर बिरला ने जब इस बारे में मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने एक विशेषज्ञ जांच लैब की स्थापना की आवश्यकता जताई। स्पीकर बिरला ने इस बारे में आईसीएमआर में चर्चा की। जिसके बाद कोटा में बीएसएल-2 प्लस लैब स्वीकृत हो गई। इसी दौरान आईसीएमआर ने देश में विभिन्न स्थानों पर बीएसएल-3 लैब की स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ की। जिसको देखते हुए बिरला ने विशेष प्रयास कर बीएसएल-2 प्लस लैब को बीएसएल-3 लैब में अपग्रेड करवा दिया।मेडिकल कॉलेज में बीएसएल-3 लैब के निर्माण के लिए कुल 17 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया। इसमें से पहली किश्त 6 करोड़ 97 लाख रुपए की राशि आईसीएमआर ने मेडिकल कॉलेज को स्थानांतरित कर दी है। यह राशि मिलने के बाद मेडिकल कॉलेज अब लैब के सिविल वर्क और आवश्यक जांच उपकरण खरीदने की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेगा।
स्थानीय स्तर पर हो सकेगी गंभीर रोगाणुओं की जांच
कोचिंग के कारण देश भर से लोगों का कोटा आना-जाना रहता है। ऐसे में बीसएल-3 लैब होने से किसी भी नए आउटब्रेक की स्थिति में रोगाणु की जांच कोटा में ही हो पाएगी। रोगाणु के जल्द पहचान होने से उपचार भी जल्द प्रारंभ करना संभव हो पाएगा। इसके अलावा इस लैब में इन रोगाणुओं पर रिसर्च भी की जा सकेगी।
कोटा लैब बनेगी आईसीएमआर नेटवर्क का भाग
मेडिकल कॉलेज कोटा में स्थापित होने वाली बीएसएल-3 लैब आईसीएमआर की देशभर में फैली 17 लैब के नेटवर्क का भाग होगी। इस लैब का डाटा और रिसर्च वर्क दिल्ली, जोधपुर, चैन्नई, पुणे, पटना, अंडमान-निकोबार सहित अन्य लैब्स के साथ शेयर किया जा सकेगा। वहां का डाटा और रिसर्च भी कोटा लैब को मिल सकेगा। इसके साथ लैब को चेन्नई स्थित डाटा माइनिंग सेंटर से भी जोड़ा जाएगा।