जेईएन ने करवाई एसीबी की बोनी, चंद पैसे के लिए बेचा ईमान
वह इस बारे में अधिक नहीं समझता। इसलिए अपने मित्र विक्रमसिंह हाड़ा को बताया। उसने कहा कि वह उसके साथ चलकर काम करवा देगा। जब वे दोनों न्यास कार्यालय गए तो वहां जेईएन विमल से सम्पर्क करने को कहा।
हाड़ा ने बताया कि हम रिश्वत देकर काम नहीं करवाना चाहते थे। उसने रकम लेकर गुरुवार को कार्यालय बुलाया था। इसलिए एसीबी में शिकायत करनी पड़ी।
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दीया तले अंधेरा…
न्यास कार्यालय में जहां रिश्वतखोरी रोकने का पोस्टर लगा है, वहीं रिश्वत का खेल चल रहा था। जेईएन विमल माहेश्वरी की सीट के पास ही दीवार पर लगे पोस्टर में बड़े-बड़े अक्षरों में साफ लिखा है कि ‘आप रोक सकते हैं रिश्वत खोरी। रिश्वत लेना व देना दोनों अपराध है’ यदि कोई राजकीय कर्मचारी या अधिकारी सरकारी काम के लिए रिश्वत मांगे तो उसकी शिकायत या सूचना तुरंत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दें। सूचना देने के लिए फोन नम्बर भी लिखे हुए हैं।
इस पोस्टर को जेईएन रोजाना आते-जाते देखता होगा, लेकिन उस पर इस संदेश का कोई असर नहीं हुआ। वह तो इसे दरकिनार कर खुलेआम सीट पर बैठकर रिश्वत ले रहा था।
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नोट दिखे तो फाइल आई बाहर
गुरुवार को जैसे ही जेईएन को 5 हजार रुपए दिए, वैसे ही उसने उनकी फाइल निकाल ली। वह फाइल पर उसके पकड़े जाने के समय मेज पर ही थी। हाड़ा ने बताया कि इस तरह से न जाने कितनी एनओसी हैं, जो फरियादी द्वारा रिश्वत नहीं देने से अटकी पड़ी हैं।
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आज करेंगे अदालत में पेश
एसीबी निरीक्षक बागडोलिया ने बताया कि दिनभर कागजी कार्रवाई पूरी की गई। विमल माहेश्वरी को शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा। पहले पटवारी पकड़ा जा चुका न्यास में रिश्वत लेते पकड़े जाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले पिछले वर्ष भी एक पटवारी 30 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था। पिछले वर्ष 30 मई को पटवारी संजीव गोचर ने वरिष्ठ नागरिक विक्रम चौहान से पट्टों के नियमन की एवज में 50 हजार रुपए की मांग की थी, जिसे एसीबी की टीम ने एक रेस्टोरेंट में 30 हजार रुपए लेते पकड़ा था।
एसीबी निरीक्षक विवेक सोनी व अजीत बागडोलिया के नेतृत्व में दिलीप सिंह, खालिक मोहम्मद, सत्येन्द्र सिंह, भरत सिंह, नरेन्द्र सिंह, असलम खान, मनोज कुमार व देवेन्द्र सिंह की टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया।