भारत में वर्ष 1952 में वन्यजीव चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया है। वहीं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री (Natural History) के दस्तावेज के मुताबिक वर्ष 1947 में भारत का आखिरी चीते का रामगढ़ के जंगल में शिकार करने का उल्लेख है। स्थानीय बुजुर्गो का मानना है कि कोरिया रियासत के महाराजा ने गांव की रक्षा के लिए आदमखोर चीते का शिकार किया था।
साउथ अफ्रीका के नामीबिया से चीते लाए जाएंगे
चीता के लिए उपयुक्त राष्ट्रीय उद्यान को लेकर दिल्ली में बैठक हुई थी। उसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से सभी राष्ट्रीय उद्यान का ब्योरा भी मांगा था। योजना के तहत कुल 20 चीता साउथ अफ्रीका के नामीबिया से लाने की तैयारी है। हालांकि गुरु घासीदास राष्ट्रीय में कितने चीते लाए जाएंगे, फिलहाल स्पष्ट नहीं है। ऐसी चर्चा है कि पहली खेप में सिर्फ दो या तीन लाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण चीता लाने के प्रोजेक्ट को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया था। मामले में करीब 10 साल बाद चीता लाने के कार्य में तेजी जाएगी। जिससे केंद्र सरकार ने इतने बरस बीत जाने की वजह से दोबारा सर्वे करने के लिए पत्र लिखा है, जिसमें वन विभाग से पूछा है कि आठ साल पहले हुए सर्वे के बाद गुरु घासीदास नेशनल पार्क में किस तरह का बदलाव आया है।
कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद भेजा गया है प्रपोजल
करीब दस साल पहले सर्वे हुआ था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित था। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रपोजल भेजा गया था। मामले में केंद्र सरकार का पत्र आया है। चीता अफ्रीका से लाया जाना है। उससे पहले डब्ल्यूआईआई व डब्ल्यूटीआई की टीम सर्वे करने आएगी। संभवत: वर्ष 2021 शुरुआत में सर्वे करने आ सकती है।
आर. रामाकृष्णा वाई, डायरेक्टर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया