इसके अलावा वर्ष 2022 में 19 और 23 में 11 गंभीर दुर्घटनाएं दर्ज की गई। हांलाकि इसमें मजदूरों की मौत नहीं हुई लेकिन गंभीर चोटें आई। इसमें ऐसे मजदूर भी शामिल हैं जिनका अंग-भंग हुआ या शरीर के एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। खान दुर्घटनाओं के मामले में कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल की तीनों मेगा प्रोजेक्ट सबसे अधिक असुरक्षित है। इसमें कुसमुंडा, गेवरा और दीपका शामिल हैं।
हांलाकि प्रबंधन की दलील है कि एसईसीएल की ओर से सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। इसके लिए सुरक्षा अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाती है जो खदान में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा को देखता है। कमी पाए जाने पर उन्हें समझाईश देने के साथ-साथ कार्रवाई भी करता है। पिछले साल ही एसईसीएल की कुसमुंडा खदान में एक ठेका श्रमिक की मौत हुई थी। श्रमिक को निजी ठेका कंपनी की गाड़ी ने कार्य के दौरान कुचल दिया था। इसके अलावा गेवरा में ट्रेेलर पलटने से भी एक श्रमिक मारा गया था।
वार्षिक खान सुरक्षा पखवाड़े का आयोजन
एसईसीएल की ओर से सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी देने के लिए हर साल वार्षिक खान सुरक्षा पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है। इसके तहत खदानों में काम करने वाले मजदूरों को सुरक्षा के नियमों से अवगत कराया जाता है। नुक्कड़ नाटक के जरिए भी सुरक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए प्रबंधन हर साल सुरक्षा पर बजट खर्च करता है। कर्मचारियों को जूता, टोपी के अलावा अन्य सामाग्री उपलब्ध कराई जाती है। इसके बाद भी कोयला खदानों में दुर्घटनाएं कम नहीं हो रही है। इधर एसईसीएल की ओर से बताया गया है कि वार्षिक खान सुरक्षा पखवाड़ा 2023 का समापन आज दीपका क्षेत्र में किया जाएगा।