कोरबा से कांग्रेस और भाजपा के अलावा 27 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें सबसे कम उम्र की प्रत्याशी प्रियंका पटेल हैं तो सबसे अधिक उम्र में ज्योत्सना महंत चुनाव लड़ रही हैं। वहीं सोशल मीडिया पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी ही सक्रिय हैं। शेष प्रत्याशियों को पास सोशल मीडिया के एकाउंट नहीं हैं। इसका खुलासा आयोग को सौंपे गए शपथ पत्र में उम्मीदवारों ने किया है।
सोशल मीडिया पर सक्रियता के मामले में भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे सबसे आगे हैं। फेसबुक के साथ-साथ ट्वीटर, यू-ट्यूब और इंस्ट्रग्राम पर उनके एकाउंट हैं। फेसबुक पेज भी है। इस पर पांडे के समर्थकों की संख्या सवा चार लाख से अधिक है। पांडे इस एकाउंट का प्रयोग भी चुनाव प्रचार के लिए कर रहीं हैं। नेताओं की होने वाली रैलियां और उनके कार्यक्रम से संबंधित ब्यौरा एकाउंट के जरिए लोगों को दिया जा रहा है। प्रचार से संबंधित संक्षिप्त वीडियो और संबोधन के कुछ हिस्से सोशल मीडिया पर डाले जा रहे हैं ताकि कम समय में लोगों तक पहुंचा जा सके और अपनी उपलब्धियां और प्राथमिकताएं बताई जा सके।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम और वेबसाइट पर सक्रिय हैं। चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहीं हैं। ज्योत्सना महंत के कार्यक्रमों की जानकारी, शहरी और ग्रामीण स्तर पर होने वाली छोटी-बड़ी सभाएं अपलोड की जा रही है।
चुनाव प्रचार में समय सीमित है। इस स्थिति में प्रत्याशी की नजर मतदाताओं पर है। उनकी पूरी कोशिश है कि मतदान से पहले हर वर्ग तक पहुंचा जा सके। खासकर युवा वोटर जिनका आजकल एक बड़ा समय फेसबुक, इंस्टाग्राम या यू-ट्यूब पर गुजरता है। इन मतदाताओं तक पहुंचने के लिए दोनों ही दोनों के प्रत्याशी अपने कार्यक्रम के वीडियो को आकर्षक तरीके से बनाकर पोस्ट कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक समर्थक और वोटर इन्हें देख सकें और मतदान के दिन उनके पक्ष में वोट कर सके।
Korba Lok Sabha Seat 2024: अधिकांश निर्दलीय प्रत्याशियों के वाट्सएप एकाउंट भी नहीं
सूचना क्रांति के इस दौर में कोरबा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बड़े दलों के प्रत्याशियों को छोड़कर शेष प्रत्याशी ऐसे हैं कि वे न तो वाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं और न ही फेसबुक का। लगभग आधा दर्जन प्रत्याशियों के पास ही वाट्सएप एकाउंट हैं जो सूचना का अदान-प्रदान करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक पेज से प्रत्याशी काफी दूर हैं। ऐसे में युवा वोटरों को साधना इनके लिए मुश्किल हो रहा है।