गौरतलब है कि बसाहट और रोजगार की मांग को लेकर खदान से प्रभावित लोग कई बार महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर चुके हैं। उत्पादन भी बाधित करा चुके हैं।
बताया जाता है कि बरमपुर के ओवरबडन को समतल करने के बाद एसईसीएल प्रबंधन लगभग 500 लोगों को बसाहट उपलब्ध करा सकता है। जटराज के बाद दूसरे चरण में ग्राम बरकुटा और पाली पड़निया के लोगों को बसाने की योजना है।
बताया जाता है कि एसईसीएल प्रबंधन के पास बसाहट के लिए जमीन की कमी है। कंपनी की खाली पड़ी जमीन पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है। इसपर मकान बना लिया है। कब्जा को हटाना प्रबंधन के लिए मुश्किल है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रबंधन ने ओवरबडन को समतल करके बसाहट उपलब्ध कराने का निर्णय निया है।
कुसमुंडा खदान ग्राम जटराज तक पहुंच गया है। यहां से खदान को आगे बढ़ाने के लिए गांव को हटाना प्रबंधन के लिए जरुरी है। लेकिन बसाहट के बिना गांव के लोग अपना घर द्वार छोड़ने को तैयार नहीं है। इससे खदान विस्तार में बाधा आ रही है।
आने वाले दिनों में कुसमुंडा खदान का विस्तार किया जाना है। इसकी सालाना उत्पादन क्षमता गेवरा से अधिक होगी। वर्तमान में स्थानीय प्रबंधन जमीन की कमी से जूझ रहा है। अब इसे दूर करने के लिए कोशिश शुरू की गई है। दो दिन पहले कलेक्टर के साथ आयोजित बैठक में भी कंपनी की ओर से जमीन की किल्लत का मामला उठाया गया था।