बीते चार दिन में हाथियों के हमले से तीन लोगों की मौत हो गई है। पसान रेंज में दो की मौत के बाद पूरा अंचल थर्राया हुआ है। गुरुवार की तड़के चार बजे पसान रेंज के दुरस्त ग्राम अड़सरा के आश्रित ग्राम घाघरा में अचानक एक दंतैल हाथी आ धमका।
50 वर्षीय बुधनी बाई एक अन्य महिला के साथ खलिहान में रखे धान की रखवाली करने वहीं सो रही थी। अचानक हाथी के चिंघाड़ सुनकर दोनों उठ गए। इसी बीच दंतैल बुधनी बाई को सूंड से उठाकर पटक दिया। महिला की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। जबकि दूसरी महिला किसी तरह वहां से भाग निकली। भागते समय वह गिर पड़ी। इससे उसका एक पैर प्रैक्चर हो गया।
इस घटना की जानकारी सुबह होने पर मिली। जब ग्रामीण व परिजन मौके पर पहुंचे तो उसका शव क्षत विक्षप्त अवस्था में खलिहान में पड़ा हुआ था। इसकी जानकारी मिलने पर रेंजर निश्चल शुक्ला मौके पर पहुंचे। फिर डीएफओ शमा फारूखी को दी गई। अधिकारियों ने मृतक के परिवार को तत्कालिक मुआवजा दिया गया है।
एक के बाद एक घटनाए, वन विभाग हुआ लाचार
जिले में पिछले चार दिनों के दौरान हाथियों के हमले में यह तीसरी मौत है। कोरबा वनमंडल के लेमरू रेंज के बडग़ांव में हाथी ने मंगलवार को एक महिला को भी मार दिया था। इससे पहले एक घटना पसान में हो चुकी है। एक के बाद एक घटना हो रही है। वन विभाग पूरी तरह से लाचार साबित हो रहा है।
झुंड से ज्यादा लोनर हाथी पहुंचा रहे नुकसान
42 हाथियों के झुंड से ज्यादा लोनर हाथी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पसान की दोनों घटनाओं और बड़गांव में भी लोनर हाथी ने ही तीन को मौत के घाट उतारा है। बताया जा रहा है ये दोनों ही हाथी झुंड से भटक कर रहवासी क्षेत्रों में लगातार जा रहे हैं। सामने आने पर लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं। बढ़ते आक्रमकता को देखते हुए वन विभाग भी सकते में है।
रेडियो कॉलरिंग नहीं लगा रहे, कहां से हाथी आ रहे पता नहीं चल रहा
पिछले साल वन महकमे ने दावा किया था ऐसे हिंसक होते हाथियों को कॉलर आइडी लगाया जाएगा। ताकि उनका लोकेशन मिलते रहेगा। प्रभावित क्षेत्रों में पहले से मुनादी करा दी जाएगी, लेकिन वन अमला इस पहलू पर कोई काम नहीं कर रहा है। कौन सा हाथी झुंड से अलग होकर कब गांव पहुंचकर घटना को अंजाम दे रहा है वन अमले को खबर तक नहीं रहती है। इसलिए ऐसेे हाथियों को कॉलर आइडी लगाना जरुरी है।