75 फीसदी बच्चे शहरी क्षेत्र के
जिन एनजीओ को कॉलेज में अलग-अलग विषय में ट्रेनिंग कराने का जिम्मा है उनका दायरा शहरी क्षेत्र है। शहरी क्षेत्र व इसके आसपास लगे क्षेत्रों से बच्चे ट्रेनिंग लेने आते हैं। जो कि ट्रेनिंग लेने के बाद शाम को ही घर लौट जाते हैं। इस वजह से रहने वालों की संख्या बेहद कम रहती है।
तर्क दे रहे वीटीपी सेंंटर सुविधा नहीं देते
अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि शहर में जो वीटीपी सेंटर संचालित है उनके द्वारा सुविधा नहीं दी जा रही है। बार-बार शिकायतें आती थी। सवाल उठता है कि शहर के वीटीपी सेंटरों मेंं विभाग नजर क्यों नहीं रख पा रहा है। सिर्फ मॉनिटरिंग करने के लिए साढ़े ५ करोड़ रुपए फूंका जा रहा है। जबकि हर वीटीपी सेंटर में बायोमेट्रिक हाजिरी से लेकर अन्य मशीनें भी लगाई गई है।
आईटी कॉलेज के विकल्प को ठुकरा दिया अफसरों ने
जब नए भवन की बारी आई थी तब कुछ ने आपत्ति की थी कि झगहरा स्थित आईटी कॉलेज मेें आधे से ज्यादा भवन खाली है। इंजीनियरिंग कॉलेज होने की वजह से वहां सारी सुविधा है। यहां तक हॉस्टल भी मिल जाएगा। लेकिन फिजूलखर्च करने में आमादा अधिकारियों ने इस विकल्प को ठुकरा कर नया भवन बनाने में ही ज्यादा रुचि ली।
प्रधानमंत्री कौशल योजना आवासीय नहीं बनाया 100 बेड हॉस्टल
दरअसल केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंर्तगत ट्रेनिंग आवासीय नहीं है। सिर्फ मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के बच्चों को आवासीय ट्रेनिंग दी जा रही है। मुख्यमंत्री कौशल विकास वाले बच्चों की संख्या प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के मुकाबले कम रहती है। उसके बाद भी १०० बेड का हॉस्टल बनाया गया।
वर्तमान भवन आईटीआई का, प्रबंधन ने नहीं मांगा, फिर भी नया बना रहे
वर्तमान में लाइवलीहुड कॉलेज जिस भवन में चल रहा है वह आईटीआई प्रबंधन का है। ९१ लाख की लागत वाले इस भवन को बिना हैंडओवर के लाइवलीहुड कॉलेज शुरू करा दिया गया। बीते ६ साल में कभी भी आईटीआई प्रबंधन ने इसे वापस नहीं मांगा। उसके बाद भी नया भवन बनाकर फिजुलखर्च करने मेें प्रशासन आमादा है।
सवा करोड़ रुपए बालक छात्रावास के लिए और फूंकने की तैयारी में
साढ़े ५ करोड़ रुपए अब तक फूंकने के बाद अब बालक छात्रावास बनाने के लिए सवा करोड़ फूंकने की तैयारी में है। नए कॉलेज भवन के एक तरफ सौ सीटर छात्रावास बनाया गया है जो बनकर तैयार है। लेकिन अभी इसमेें ताला लगा हुआ है। जबकि दूसरी तरफ पीडब्ल्यूडी से १०० सीटर बालक छात्रावास बनाने टेंडर किया जा चुका है।
एस के दुबे, सहायक संचालक, कौशल विकास