कोरबा

डीएमएफ के 5.30 करोड़ की लागत से निर्माण होगा लाइवलीहुड कॉलेज व हॉस्टल, लेकिन संचालन करेगा कौन, जानकर हो जाएंगे हैरान, पढि़ए पूरी खबर…

– हद तो तब हो गई जब नया भवन बनाने के साथ पुराने के मरम्मत व रंगरोगन में डीएमएफ से ८ लाख खर्च किया गया

कोरबाJan 18, 2019 / 01:37 pm

Shiv Singh

डीएमएफ के 5.30 करोड़ की लागत से निर्माण होगा लाइवलीहुड कॉलेज व हॉस्टल, लेकिन संचालन करेगा कौन, जानकर हो जाएंगे हैरान, पढि़ए पूरी खबर…

कोरबा. डीएमएफ के पैसों से जो समझ में आ रहा है वो कर दिया जा रहा है। न तो इससे मिलने वाले दूरगामी लाभ को देखा गया और न ही वर्तमान में क्या बेहतर उपयोग हो सकता है इसे परखा गया। डीएमएफ के हमारे इस कड़ी में हम बात करेंगे रामपुर में ५.३० करोड़ की लागत से नया लाइवलीहुड कॉलेज और हॉस्टल के निर्माण का। हैरानी इस बात की है कि इतना पैसा फंसाने के बाद भी इस भवन का संचालन विभाग नहीं करेगा। बल्कि इसे बनाने के बाद तीन एनजीओ को देने की प्लानिंग है।
रामपुर स्थित आईटीआई कॉलेज के पीछे एक्सीलेंस के भवन में पिछले ६ साल से लाइवलीहुड कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। भवन पर्याप्त है। कॉलेज में ट्रेनिंग के लिए जितनी क्षमता होनी चाहिए उससे अधिक कभी बच्चे पहुंचे ही नहीं। २५० बच्चे एक साथ यहां ट्रेनिंग ले सकते हैं। अलग वीटीपी की क्लास अलग-अलग समय पर लगती है। जिस भवन पर कॉलेज चल रहा है उसकी लागत ९१ लाख रुपए थी। लेकिन अब यह अधिकारियों कम पडऩे लगा है।
लिहाजा इसके पीछे ३ करोड़ ७१ लाख की लागत से नया लाइवलीहुड कॉलेज और १ करोड़ ५८ लाख की लागत से छात्रावास का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में जो भवन है उसे एनजीओ को दे दिया गया हैै। ऐसे में नया भवन भी संचालन के लिए एनजीओ को देने की तैयारी है। कुल मिलाकर एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए डीएमएफ से इतनी भारी भरकम राशि फूंकी जा रही है। हद तो तब हो गई जब नया भवन बनाने के साथ पुराने के मरम्मत व रंगरोगन में डीएमएफ से ८ लाख खर्च किया गया है।
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75 फीसदी बच्चे शहरी क्षेत्र के
जिन एनजीओ को कॉलेज में अलग-अलग विषय में ट्रेनिंग कराने का जिम्मा है उनका दायरा शहरी क्षेत्र है। शहरी क्षेत्र व इसके आसपास लगे क्षेत्रों से बच्चे ट्रेनिंग लेने आते हैं। जो कि ट्रेनिंग लेने के बाद शाम को ही घर लौट जाते हैं। इस वजह से रहने वालों की संख्या बेहद कम रहती है।

तर्क दे रहे वीटीपी सेंंटर सुविधा नहीं देते
अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि शहर में जो वीटीपी सेंटर संचालित है उनके द्वारा सुविधा नहीं दी जा रही है। बार-बार शिकायतें आती थी। सवाल उठता है कि शहर के वीटीपी सेंटरों मेंं विभाग नजर क्यों नहीं रख पा रहा है। सिर्फ मॉनिटरिंग करने के लिए साढ़े ५ करोड़ रुपए फूंका जा रहा है। जबकि हर वीटीपी सेंटर में बायोमेट्रिक हाजिरी से लेकर अन्य मशीनें भी लगाई गई है।

आईटी कॉलेज के विकल्प को ठुकरा दिया अफसरों ने
जब नए भवन की बारी आई थी तब कुछ ने आपत्ति की थी कि झगहरा स्थित आईटी कॉलेज मेें आधे से ज्यादा भवन खाली है। इंजीनियरिंग कॉलेज होने की वजह से वहां सारी सुविधा है। यहां तक हॉस्टल भी मिल जाएगा। लेकिन फिजूलखर्च करने में आमादा अधिकारियों ने इस विकल्प को ठुकरा कर नया भवन बनाने में ही ज्यादा रुचि ली।

प्रधानमंत्री कौशल योजना आवासीय नहीं बनाया 100 बेड हॉस्टल
दरअसल केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंर्तगत ट्रेनिंग आवासीय नहीं है। सिर्फ मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के बच्चों को आवासीय ट्रेनिंग दी जा रही है। मुख्यमंत्री कौशल विकास वाले बच्चों की संख्या प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के मुकाबले कम रहती है। उसके बाद भी १०० बेड का हॉस्टल बनाया गया।

 

वर्तमान भवन आईटीआई का, प्रबंधन ने नहीं मांगा, फिर भी नया बना रहे
वर्तमान में लाइवलीहुड कॉलेज जिस भवन में चल रहा है वह आईटीआई प्रबंधन का है। ९१ लाख की लागत वाले इस भवन को बिना हैंडओवर के लाइवलीहुड कॉलेज शुरू करा दिया गया। बीते ६ साल में कभी भी आईटीआई प्रबंधन ने इसे वापस नहीं मांगा। उसके बाद भी नया भवन बनाकर फिजुलखर्च करने मेें प्रशासन आमादा है।

सवा करोड़ रुपए बालक छात्रावास के लिए और फूंकने की तैयारी में
साढ़े ५ करोड़ रुपए अब तक फूंकने के बाद अब बालक छात्रावास बनाने के लिए सवा करोड़ फूंकने की तैयारी में है। नए कॉलेज भवन के एक तरफ सौ सीटर छात्रावास बनाया गया है जो बनकर तैयार है। लेकिन अभी इसमेें ताला लगा हुआ है। जबकि दूसरी तरफ पीडब्ल्यूडी से १०० सीटर बालक छात्रावास बनाने टेंडर किया जा चुका है।

-शासन से ही निर्देश मिला था कि वीटीपी सेंटर ट्रेनिंग लेने वालों को सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। इनको एक ही जगह पर अपनी निगरानी के बीच ट्रेनिंग करवाने के लिए नया भवन और रहने के लिए हॉस्टल बनाएं जा रहे हैं। आईटीआई प्रबंधन ने कभी भवन वापस नहीं मांगा है। लेकिन इसमें कई परेशानी भी आ रही थी।
एस के दुबे, सहायक संचालक, कौशल विकास

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