समय के साथ ठगी का तरीका भी बदल रहा है। पहले ठगों का गिरोह बैंक अधिकारी बनकर मोबाइल फोन के जरिए लोगों से सम्पर्क करता था। अब ठगी यह तकनीक पुराना पड़ गया है। ठगों ने नौकरी या अन्य कार्यों के लिए प्रलोभन भरा संदेश मोबाइल फोन पर लिंक भेजते हैं। लालच में फंसकर कोई व्यक्ति लिंक को क्लीक करता है। यह लिंक एक कम्प्यूरकृत प्रोग्राम से जुड़ा होता है। जैसे ही व्यक्ति एक दो रुपए लिंक जरिए पेमेंट करता है। उसके खाते से उतनी राशि निकल जाती है जिसका कम्प्यूटरकृत प्रोग्र्राम में ठग डाले रहते हैं। आजकल सबसे अधिक ठगी इसी तकनीक के जरिए हो रही है।
साइबर ठगी का पता चलते ही लोगों को 155260 पर कॉल करके सूचना देनी चाहिए। ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीयस्तर पर इस टॉल फ्री नंबर को जारी किया गया है। इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल भी शुरू किया गया है। इसपर भी लॉगिन करके शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
एसईसीएल की गेवरा प्रोजेक्ट में काम करने वाले अमरलाल बंजारे को ठगों ने एक लाख 19 हजार रुपए ठगा। ठगों ने बीएसएनएल का कर्मचारी बताकर बंजारे से मोबाइल पर सम्पर्क किया। मोबाइल नंबर की केवाईसी कराने कहा। बंजारे ने वैसा ही किया जैसा कि ठगों ने कहा और उसके खाते से राशि पार हो गई।
दीपका क्षेत्र में रहने वाला एक युवक मोबाइल फोन से ऑनलाइन आवेदन कर एक कंपनी से लोन लेने की चाहत की 88 हजार रुपए गंवा दिया। ठगों ने उसके मोबाइल पर एनीडेस्ट एप इंस्टॉल कराया और मोबाइल को अपने नियंत्रण में लेकर उसके खाते में जमा राशि निकाल लिया। पीडि़त युवक ने थाना में केस दर्ज कराया है।