ससुराल पक्ष ने भी इस पंरपरा को किया स्वीकार
मायके पक्ष के इस पंरपरा को दुल्हन के ससुराल पक्ष ने भी स्वीकार किया। कोविड को देखते हुए दो परिवारों के बीच शादी सम्पन्न हुई। जितने भी मेहमान आए थे। उन्हें पौधें भेंट किए गए। जब बारात वापस पहुंची तो इन पौधों का भी स्वागत हुआ। परिवार के सदस्यों ने बकायदा इसे सम्मान के साथ घरों पर सजाया। इस शादी की समाज और परिवार में जमकर चर्चा है।
बड़े भाई ने कहा- पौधे से बड़ा और कोई दहेज नहीं
दुल्हन के बड़े भाई प्रशांत महतो ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि पौधों से बड़ा और कोई दहेज नहीं हो सकता। सारे सामान पुराने होने के साथ खराब हो जाएंगे, लेकिन ये पौधे ही हैं जो हर दिन के साथ बड़े होंगे। इनसे ही ताजी हवा मिलेगी। पौधे जिंदगी के सबसे अहम हिस्सा हैं ऐसे में दहेज में पौधों का स्थान जरुरी है। अगर हर शादी में यह पंरपरा शुरु होती है तो पौधे लगेंगे भी और बचेंगे भी।