Kondagaon Bade Donger: पहाड़ों में मां दंतेश्वरी विराजित हैं
बड़ेडोंगर के चारों दिशाओं में भगवान गणेश की कई
प्राचीन मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो आज भी खुले में रखी हुई हैं और विधिवत रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। यहां के पहाड़ों में मां दंतेश्वरी विराजित हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए सीढ़ियों पर स्वयं गणेश जी विराजमान हैं।
हवन स्थल और मंदिर परिसर में भी आदिकाल से (Kondagaon Bade Donger) गणेश की प्रतिमाएँ स्थापित हैं, जिनकी पूजा निरंतर होती रहती है। मां दंतेश्वरी के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं और गणेश जी की पूजा प्रतिदिन की जाती है।
बड़ेडोंगर के चारों दिशाओं में गणेश की प्रतिमाएं
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा में ताल गुड़रा पहाड़ में विशालकाय गणेश जी की मूर्ति स्थापित है। भक्त इसे ‘गणेशा’ के नाम से पूजते हैं। यहाँ गणेश चतुर्थी, नवरात्रि और अन्य हिंदू पर्वों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा में फूल तालाब के किनारे गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है। यहां गणेश चतुर्थी के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है, जबकि मोहल्ले वासी समय-समय पर पूजा करते रहते हैं। (Kondagaon Bade Donger) इसके अतिरिक्त,
माँ दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में बालाजी मंदिर परिसर के मुय द्वार पर भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित है, जहाँ प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है। कुछ दूरी पर माई भंगाराम दरबार के समीप भी गणेश जी की एक मूर्ति स्थापित है, जहाँ नियमित रूप से भक्त पूजा करते हैं।
उत्तर दिशा
बड़ेडोंगर के उत्तर में एक प्राकृतिक कुंड है, जिसके समीप उपजन गणेश की मूर्ति स्थापित है। यह एक अद्भुत पत्थर की उभरी हुई मूर्ति है, जिसे गणेश चतुर्थी के अवसर पर उपवास रखने वाले भक्त विशेष रूप से पूजते हैं।
दक्षिण दिशा
Kondagaon Bade Donger: गौरीबेड़ा के जंगलों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित है। इस स्थल पर 2001 से पुजारी रूपसिंग कुदराम द्वारा प्रतिदिन नि:स्वार्थ भाव से पूजा की जाती है। पुजारी के अनुसार, जब वन विभाग द्वारा जंगल की कटाई हो रही थी, तब गणेश जी की यह मूर्ति प्रकट हुई। उस स्थान पर दीमक चढ़ी हुई थी, और पेड़ गिरने से मूर्ति के पास से खून जैसा तरल निकलने लगा। इसके बाद से इस स्थल पर नियमित रूप से पूजा की जाती है। (Kondagaon Bade Donger) इस स्थान के समीप गणेश तालाब स्थित है, जहाँ शिव, पार्वती और गणेश की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। भक्त यहाँ स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं, विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, सोमवार, मंगलवार और शनिवार को।