सीएसआईएर-सीएमइआर, दुर्गापुर ने लघु कुटीर और मझौले उद्यमियों को आधुनिक मशीन को इस्तेमाल कर चीनी उद्यमियों की तरह कम लागत में बेहतर उत्पाद तैयार करने के बारे में बताया। दूसरी ओर ईईपीसी टेक सेन्टर ने उन्हें स्टार्ट-अप लॉन्च करने और रोजगार के अवसर पैदा करने और उत्पादों का बाजार करने का तरीका सीखाया।
सेमीनार में एमएसएमई के अद्यमियों को उत्पादन से संबंधित आधुनिक और महंगी मशीनों और सरकार की ओर से उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया गया। इसके अलावा उन्हें इनोवेशन और लागत कम करने और बाजार में चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा में खड़ा होने के लिए गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने के बारे में बताया गया।
सीएसआईएर-सीएमइआर, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. डॉ. हरीश हिरानी ने कहा कि ऑटोमोबाइल, कृषि मेशीनरी, बायो-डीजल प्लांट के क्षेत्र उद्यमी महंगी आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इस कारण उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाता है और वे बाजार में चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते हैं। इस लिए उद्यमियों को महंगी आधुनिक मशीने और रोबोट का इस्तेमाल करने के बारे में बताया। हम लोगों ने कुटीर, लघु और मझौले उद्योमियों को कम लागत में बेहतर उत्पाद तैयार करने में उपयोग आने वाली महंगी मशीनों और रोबोट चलाने का प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया है।
स्टार्ट-अप के लॉन्च में मदद करेगी सरकार इस दौरान उन्हें संस्था की ओर से दिए जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी बताया गया। ईईपीसी टेक सेन्टर के अध्यक्ष रवि सहगल ने कहा कि बेंगलुरु और कोलकाता में काउंसिल के इन-हाउस टेक्नोलॉजी सेंटर एमएसएमई क्षेत्र में स्टार्ट-अप लॉन्च करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेंगे। केंद्र (बेंगलुरु और कोलकाता में) छात्रों और उद्यमियों के ज्ञान और कौशल को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। वे एमएसएमई क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद करेंगे।
तैयार हो रहा एक लाख का इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक्टर हरीश हिरानी ने कहा कि सीएसआईएर-सीएमइआर, दुर्गापुर ने एक छोटे से संचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रैक्टर को विकसित कर रहा है, जो भारतीय बाजार में 1 लाख रुपये से कम कीमत पर सबसे सस्ता होगा। एक साल के भीतर इस ट्रैक्टर का पहला परीक्षण करने का लक्ष्य बनाया गया है।