इसके लिए नई दरें भी तय कर दी गई है जिसके अनुसार एक इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicles) पर करीब 46,000 रूपए खर्च किये जाएंगे जो कि 100 किलोमीटर की दूरी ले लिए आवंटित किये गए है। इसके बाद कार जितने किलोमीटर चलेगी उसके हिसाब से 8 रूपए प्रति किलोमीटर का चार्ज लगेगा।
प्रशासनिक कामो के लिए उपयोग की जाने वाली इन इलेक्ट्रिक कारों (electric vehicles) को परिवहन विभाग अलग-अलग कंपनियों से किराए पर लेगा। सूत्रों के अनुसार इस साल करीब 20,000 पेट्रोल-डीजल से चलने वाली टैक्सियां रद्द कर दी जाएंगी। इतनी सारी टैक्सियां स्क्रैप होने से परिवहन विभाग को नई इलेक्ट्रिक कारें किराए पर लेने की आवश्यकता होगी।
ऐसा नहीं है कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहन किराए पर नहीं लिए जा सकते लेकिन ऐसा करने के लिए वित्त विभाग की अनुमति की जरुरत होगी।
वित्त विभाग के एक अधिकारी के अनुसार इस नई प्रणाली से भले ही राज्य सरकार पर वित्तीय भार आएगा लेकिन यह ऑटोमोबाइल खासकर डीजल से चलने वाले वाहनों से बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने में कारगर होगा।
ज्वाइंट काउन्सिल ऑफ़ लग्जरी टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर घोष ने कहा कि हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते है लेकिन बिना बुनियादी ढाँचे के निर्माण के इलेक्ट्रिक कारों की यह प्रणाली कितनी सफल होगी। हमारा मानना है कि इस सम्बन्ध में परिवहन विभाग के साथ काफी चर्चा की जरुरत है। west bengal government will hire electric vehicles to reduce pollution