कोलकाता

पश्चिम बंगाल: पहली बार आदिवासी महिला नेता ने संभाला माकपा जिला सचिव का पदभार

देवलीना हेम्ब्रम शुक्रवार को माकपा की जिला सचिव का पदभार संभालने वाली पहली आदिवासी महिला नेता बन गईं। जिला सचिव का पदभार संभालते ही उन्होंने बंगाल में राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के खिलाफ लड़ाई तेज करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दलगत तरीके से जिले में दोनों दलों के खिलाफ माकपा की लड़ाई तेज होगी।

कोलकाताJan 27, 2025 / 03:41 pm

Rabindra Rai

पश्चिम बंगाल: पहली बार अदिवासी महिला नेता ने संभाला माकपा जिला सचिव का पदभार

भाजपा और तृणमूल के खिलाफ लड़ाई तेज करने का किया ऐलान, पार्टी की नजर आदिवासी वोट पर

देवलीना हेम्ब्रम माकपा की जिला सचिव का पदभार संभालने वाली पहली आदिवासी महिला नेता बन गईं। जिला सचिव का पदभार संभालते ही उन्होंने बंगाल में राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के खिलाफ लड़ाई तेज करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दलगत तरीके से जिले में दोनों दलों के खिलाफ माकपा की लड़ाई तेज होगी। माकपा की पश्चिम बंगाल इकाई के 61 वर्ष के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना है। पहली बार कोई आदिवासी महिला नेता माकपा की जिला सचिव बनी हैं। माकपा के संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति नौ वर्ष से ज्यादा जिला सचिव के पद पर नहीं रह सकता। इस कारण नौ साल तक बांकुड़ा जिला सचिव पद पर रहे माकपा नेता अजीत पति को पद से हटना पड़ा और आयोजित सम्मेलन में नई जिला सचिव के रूप में देवलीना हेम्ब्रम चुनी गईं।

वोट बैंक अपनी ओर आकर्षित करने का भरोसा

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि देवलीना हेम्ब्रम जुझारू नेता है। इस लिए माकपा ने आदिवासी बहुल क्षेत्र जंगलमहल में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए ऐसा किया है। माकपा का राज्य नेतृत्व अब इसी उम्मीद से जंगलमहल क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। गुरुवार को माकपा के जिला सम्मेलन में चुनी जाने के बाद शुक्रवार को देवलीना हेम्ब्रम ने बांकुड़ा जिला सचिव का पदभार संभाला। अलीमुद्दीन को जंगलमहल की लड़ाकू आदिवासी नेता देवलीना पर आदिवासी वोट बैंक अपनी ओर आकर्षित करने का भरोसा है।

देवलीना ने कायम की मिसाल

माकपा के इतिहास में अब तक किसी आदिवासी महिला नेता के जिला सचिव पद के लिए चुने जाने की कोई मिसाल नहीं है। पहली बार बांकुड़ा जिले में देवलीना हेम्ब्रम ने यह मिसाल कायम की है। वर्ष 1996 में देवलीना पहली रानीबांध विधानसभा क्षेत्र से माकपा विधायक चुनी गईं। 2001 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और 2006 में, फिर से रानीबांध विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर वे राज्य की पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनीं।

परिवर्तन की लहर में भी लहराया परचम

2011 में, राज्य भर में परिवर्तन की लहर होने के बावजूद, देवलीना हेम्ब्रम ने रानीबांध विधानसभा सीट पर अपना परचम लहराया। राज्य में सत्ता परिवर्तन होने और तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद देवलीना विधानसभा के अंदर और बाहर माकपा की फायर ब्रांड नेता के रूप में उभरी। 2011 में तृणमूल कांग्रेस के हमले में वे घायल हुई। उसके बाद ब्रिगेड में आयोजित माकपा की रैली में देवलीना हेम्ब्रम के जोशीला भाषण ने उन्हें राजनीतिक हलकों में सबसे जुझारू चेहरों में से एक बना दिया। वह पार्टी के बांकुड़ा जिला सचिवालय की सदस्य होने के अलावा राज्य समिति की भी सदस्य हैं।

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