एक वर्ग अधीर के साथ खड़ा
अटकलों के बीच, राज्य में कांग्रेस पर नजर रखने वालों ने अधीर को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बताया। इसके बाद अधीर ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ अपना मुंह खोला। उन्होंने कहा कि यदि उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया है तो उन्हें सूचित करना विनम्र एवं सभ्य व्यवहार है। अधीर और कांग्रेस नेतृत्व के साथ हो रही रस्साकसी के बीच प्रदेश भाजपा नेतृत्व का एक वर्ग अधीर के साथ खड़ा हो गया है। शमिक ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए तृणमूल का विरोध नहीं किया जा सकता है। वे ममता बनर्जी पर हमला कर सकते हैं। उन्होंने दिल्ली नेतृत्व को यह साबित कर दिखाया है।
बंगाल में लड़ाई तृणमूल और भाजपा के बीच
शमिक ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने यह तय कर दिया है कि बंगाल में लड़ाई तृणमूल और भाजपा के बीच ही है। अगर कोई तृणमूल को हरा सकता है, तो भाजपा ही हरा सकती है। इसलिए अगर अधीर सोचते हैं कि तृणमूल को हराना है तो उनको कांग्रेस को छोडऩा अत्यंत जरूरी है। कभी कांग्रेस में रहते हुए अधीर के साथ काम करने वाले सौमित्र ने कहा कि जहां तक मैं अधीर के साथ काम करने से समझता हूं, वे शायद कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। अगर वे मुर्शिदाबाद और मालदह से अपनी पार्टी शुरू करते हैं, तो वे अच्छी स्थिति में जा सकते हैं। हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता उनका स्वागत कर सकते हैं। वे 1996 से ही तृणमूल के विरोधी हैं। इससे उन्हें कभी नहीं लगता कि वे कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
तब ये होते हालात
अधीर पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में इंडिया गठबंधन का विरोध करने के कारण पार्टी नेतृत्व ममता से नाखुश है। तृणमूल तो यहां तक शिकायत कर रही हैं कि अधीर की वजह से ही बंगाल में तृणमूल-कांग्रेस के बीच सीटों पर सहमति नहीं बन पाई। अधीर के साथ इस तनाव को लेकर तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी खुलकर बात की है। उनके शब्दों में अगर ममता बनर्जी द्वारा दी गई दो सीटें कांग्रेस ने स्वीकार कर ली होतीं, तो आज अधीर चौधरी सांसद बन गए होते। तब भाजपा 6-7 सीटों पर सिमट जाती।