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कोलकाता

शाकाहारी हैं, विश्व भ्रमण में जाना है, तो मदद करेगी इस्कॉन की गोविंदा रसोई

यदि आप विश्व के ऐसे किसी देश की यात्रा पर जा रहे हैं जहां शाकाहारी भारतीय भोजन vegitarian food मिलना मुश्किल हो तो आपको एक बार इस्कॉन ISKCON के स्थानीय केन्द्र के बारे में जानकारी जरूर जुटा लेनी चाहिए। विश्व के 350 से ज्यादा शहरों में संगठन की गोविंदा रसोई शाकाहारी प्रसाद व भोजन परोस रही है।

कोलकाताAug 22, 2019 / 06:35 pm

Paritosh Dube

शाकाहारी हैं, विश्व भ्रमण में जाना है, तो मदद करेगी इस्कॉन की गोविंदा रसोई

शाकाहारी हैं, विश्व भ्रमण में जाना है, तो मदद करेगी इस्कॉन की गोविंदा रसोई

कोलकाता, मायापुर.
श्री कृष्ण के जन्म की घडिय़ां आ चुकी हैं। देश- विदेश में सनातन के इस मनमोहक अवतार के आर्विभाव के उत्सव शुरू हो चुके हैं। ऐसे में भारत के उन लोगों के लिए इस खबर का सरोकार बढ़ जाता है, जो शाकाहारी हैं व निकट भविष्य में विदेश यात्रा पर जाने की इच्छा रखते हैं। कृष्ण के चैतन्य स्वरूप की पूजा करने वाले वैश्विक संगठन इस्कॉन से ऐसे लोगों को विदेश में मदद मिलेगी।
पश्चिम बंगाल के मायापुर में मुख्यालय वाले इस्कॉन के विश्व के 350 से ज्यादा बड़े शहरों में केन्द्र हैं, जिनमें मंदिर हैं, कीर्तन होते हैं। अधिकांश में शाकाहारी रेस्तरां भी हैं। जो कृष्ण ठाकुर को लगे प्रसाद का वितरण करते हैं। वैसे इस्कॉन से जुड़े भक्तों के आवास व स्थानीय केन्द्रों की विदेशों में संख्या हजारों में हैं। अमरीका, रशिया, जापान, अफ्रीका से लेकर चीन, मलेशिया, आस्ट्रेलिया तक में आपको कृष्ण भक्ति के साथ उनका प्रसाद भी मिलेगा।
इस्कॉन मायापुर मुख्यालय के प्रवक्ता भक्त सुब्रत दास के मुताबिक विश्व के सभी महाद्वीपों में कुल मिलाकर इस्कॉन के एक हजार केन्द्र हैं। वहीं स्थानीय केन्द्रों की संख्या ६ हजार के आसपास है। ये ऐसे केन्द्र हैं जहां रोजाना कृष्ण भक्ति होती है। पूजा की जाती है। प्रसाद तैयार होता है। विश्व के सभी बड़े इस्कॉन केन्द्रों में गोविंदा रसोई का संचालन किया जाता है। संगठन का मानना है कि कृष्ण का चैतन्य स्वरूप उनके प्रसाद से प्राप्त होता है। प्रसाद के निर्माण में सुचिता व स्थानीयता का ध्यान रखा जाता है।
कृष्ण भक्ति में लीन इस्कॉन की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादी ने सन् 1966 में अमरीका की न्यू यॉर्क सिटी में की थी। न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की यह वैश्विक धारा आज विश्व के कोने-कोने में बह रही है। मॉस्को हो या ढाका, न्यूयॉर्क हो या डर्बन सभी जगहों पर कृष्ण भक्त हरे कृष्णा हरे कृष्णा का नाम जप रहे हैं। इस समय इस्कॉन समूह के विश्व भर में लगभग 400 से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।

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