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खरगोन

अपनी उम्र से 15 साल ज्यादा गुजार चुके पुल में आई दरार, अधिकारियों में असमंजस, इसे बचाएं कैसे?

-इंदौर-इच्छापुर राजमार्ग के मोरटक्का पुल के पिलर में दरार-नर्मदा नदी का जल स्तर कम हुआ तो सामने आई दरार-NHAI की टीम के साथ अधिकारियों ने किया निरीक्षण-पुल से गुजरने वाले वाहनों पर लगा प्रतिबंध

खरगोनAug 25, 2022 / 12:11 pm

Faiz

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अपनी उम्र से 15 साल ज्यादा गुजार चुके पुल में आई दरार, अधिकारियों में असमंजस, इसे बचाएं कैसे?

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले से सटे इंदौर-इच्छापुर राजमार्ग पर नर्मदा नदी पर 1947 में बने मोरटक्का पुल के एक पिलर में दरार आ जाने से प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। हालही में इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब नर्मदा नदी के जलस्तर में थोड़ी कमी आई। आनन फानन में बड़वाह एसडीओपी विनोद दीक्षित और थाना प्रभारी प्रकाश वास्कले पूल का निरीक्षण करने पहुंचे। अधिकारियों ने भी पुल के एक पिलर में दरार होने की पुष्टि की है। हालांकि, नर्मदा नदी के उफान पर चलने की वजह से कल शाम से ही पुल से वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है।

वहीं एसडीओपी विनोद दीक्षित की सूचना पर बड़वाह एसडीएम और एनएचएआई की टीम ने भी गुरुवार की सुबह पुल का निराक्षण किया। हालांकि, काफी देर तक जांच परख करने के बावजूद भी अधिकारी किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पाए, कि आखिर ये पुल अभी खतरे में है या नहीं? फिलहाल, मार्ग से गुजरने वालों को आवागमन के लिए अभी और इंतजार करना होगा।

 

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साल 2019-20 नर्मदा में आई बाढ़ से हुआ था पुल को नुकसान

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आपको बता दें कि, इस पुल से पिछले 36 घंटे से प्रशासन ने यातायात को बंद कर रखा है। इससे पहले भी साल 2019-20 में नर्मदा नदी में आई भीषण बाढ़ के चलते पूल के ऊपर तक से पानी गुजरने लगा था, जिससे पूल को भारी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद करीब एक महीने के लिए पूल बंद कर दिया गया था।


कभी भी ढह सकता है यह ब्रिज

ग्राम मोरटक्का से गुजरी नर्मदा नदी पर ये पुल बना है। ये अपनी उम्र पार कर चुका है। टू लेन पुल 1947 में लखनऊ के दरियावसिंह एंड कंपनी ने मात्र 25 लाख की लागत से बनाया था। सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी पुल की उम्र 60 वर्ष होती है। इस हिसाब से देखें तो ये पुल अपनी पूर्ण आयु से 15 साल ज्यादा पार कर चुका है। हालांकि, मौजूदा समय में इस पुल पर 24 घंटे ट्रैफिक चलता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंहस्थ 2016 के दौरान उज्जैन से ओंकारेश्वर और खंडवा की ओर जाने वाले यातायात के दबाव को देखते हुए इसी कंपनी को छह माह का अतिरिक्त समय देकर इस मार्ग का सुधार कार्य करवाया था। हालांकि, तब से लेकर यह जर्जर हालत में आ गया है।

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