आपको बता दें कि इस विधान सभा सीट पर वंशवाद हावी रहा। कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली महेश्वर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में साधौ परिवार का ही कब्जा रहा है। आपको बता दें कि विधायक डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ अपने पिता की विरासत को अब संभाल रही हैं। महेश्वर सीट का जातीय समीकरण महेश्वर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां दो लाख से ज्यादा मतदाता है। अनुसूचित जाति के वोटर्स की संख्या यहां सबसे अधिक है। पाटीदार, वैश्य और ब्राह्मण समाज के मतदाताओं की बड़ी संख्या है।
महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में जनसंघ और जनता पार्टी एक-एक बार एवं बीजेपी के उम्मीदवार दो बार सफल हुए हैं। 1952, 1957, 1967, 1972, 1980, 1985, 1993, 1998 एवं 2008 में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई। इस सीट पर साधौ परिवार का वर्चस्व रहा है। यहां से दिवंगत सीताराम साधौ 5 बार विधायक चुने गए। इसके बाद उनकी बेटी डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ भी 5 बार विधायक चुनी गईं।
मुख्य प्रतिद्वंद्वी : राजकुमार मेव, भाजपा
प्रमुख मुद्दे
भाजपा की ओर से: शहर में रोजगार के अवसर विकसित करेंगे। पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाएंगे। नर्मदा तटों को विकसित कर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाई जाएंगी। क्षेत्र की प्रतिभाओं को ध्यान में रखते हुए स्पोट्र्स ट्रैक बनाएंगे।
मुख्य प्रतिद्वंद्वी : विजय लक्ष्मी साधौ, कांग्रेस
महेश्वर से मेडिकल कॉलेज छीन लिया। सरकार ने क्षेत्र में पर्यटन के विकास के लिए कुछ नहीं किया। देवी अहिल्या की राजधानी को पिछड़ा बना दिया। धरोहरों का संरक्षण और बुनकरों को प्रोत्साहित नहीं किया।