भीकनगांव आदिवासी सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है। भीकनगांव महाराष्ट्र की सीमा से सटा है। क्षेत्र में भिलाला, बारेला जनजाति की बहुलता के अलावा अन्य कई समाज भी रहते हैं। जो चुनाव में अहम भूमिका में रहते हैं।
1962 में भीकनगांव एक नई विधान सभा सीट बनी। 70 के दशक से 2018 तक की बात की जाए तो यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला रहा। 5 बार बीजेपी जीती तो 5 बार कांग्रेस। 90 के दशक से बात की जाए तो बीजेपी ने साल 1990 में जीत दर्ज की। फिर 1993 में कांग्रेस ने हथिया ली। 1998 में एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ। इसके बाद 2003 में बीजेपी ने फिर इस सीट पर बाजी मारी। 2003 के बाद 2008 में भी बीजेपी ने यहां जीत दर्ज कराकर अपनी हैट्रिक बना दी। इसके बाद साल 2013 और 2018 में कांग्रेस की झूमा सोलंकी मतदाताओं को रिझाने में कामयाब रहीं। साल 2018 में रही ये स्थिति 2018 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो भीकनगांव सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का दिलचस्प मुकाबला ही देखा गया। कांग्रेस की झूमा सोलंकी को चुनाव में 91,635 वोट मिले तो, 2 बार के विधायक रहे बीजेपी के धूलसिंह डावर के खाते में 64,378 वोट आए। झूमा सोलंकी ने यह चुनाव 27,257 मतों के अंतर से जीता।
भीमनगांव सीट पर रहा इन विधायकों का कब्जा
– 2018 और 2013 में कांग्रेस से झूमा सोलंकी
– 2008 और 2003 में बीजेपी के धूल सिंह डावर
– 1998 में लाल सिंह (बीजेपी)
– 1993 में जवान सिंह ( कांग्रेस)
– 1990 में डोंगर सिंह (बीजेपी)
– 1985 में जवान सिंह (कांग्रेस)
– 1980 में डोंगर सिंह (बीजेपी)
– 1977 में डोंगर सिंह (जेएनपी)
– 1972 में राणा बलबहादुर सिंह (कांग्रेस)
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