एसपी मनोज कुमार राय ने कहा कि एआई आर्टिफिशियल इंटिलेजेंस बहुत अच्छी चीज है, भविष्य में बहुत उपयोगी है, लेकिन इसका उपयोग साइबर अपराध में भी हो रहा है। वाइस चेंजर के जरीए अपराध किया जा रहा है, ये एक नया चैलेंज है। आप को किसी अपने की आवाज में बात करते हैं और साइबर क्राइम का शिकार बनाते है। आप यदि लंबे समय से किसी से जुड़े है तो उसके बात करने का तरीका, आपसे किस तरह से पेश आता है, इसकी जानकारी आपको रहती है। बात करने के लहजे से पहचानें, यदि कुछ गलत लगता है तो तुरंत ही फोन काट दें।
साइबर सेल प्रभारी गायत्री सोनी ने बताया कि सोशल मीडिया पर आप यदि अननोन नंबर को रिस्पांस करते हैं तो वह आपको अपने जाल में फांस लेता है। अपनी डिटेल किसी अनजान के साथ शेयर न करें। वॉटसएप, इंस्टाग्राम, मैसेंजर पर ट्रांजेक्शन से संबंधित चीजों पर कभी भी क्लिक न करें। कोई भी बैंक केवायसी ऑनलाइन, मेल के माध्यम से नहीं होती, फिजिकली जाना होता है। सबसे बेस्ट होती है सावधानी, आप सावधान है तो परेशानी से बच सकते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित निशा अग्रवाल ने बताया कि सरकारी योजना के नाम पर उनकी एक सहेली के साथ भी साइबर फ्राड की कोशिश हुई थी। मैं अखबार पढ़ती हूं, इसलिए मुझे साइबर अपराध की जानकारी थी। मेरी सहेली ने जब मुझे इसकी जानकारी दी तो उसे तुरंत पुलिस के पास भेजा और केस दर्ज करवाकर नंबर ब्लॉक कराया।
ये भी कहा पुलिस अधीक्षक ने
-टेक्नालॉजी का यूज करने के साथ सावधानी रखना जरूरी है। आजकल हर हाथ में मोबाइल है, सभी उसका उपयोग कर रहे हैं।
-यहां 70 से ज्यादा लोग उपस्थित है, मुझे उम्मीद है कि यहां से जानकारी लेकर आप 7 हजार लोगों को जागरूक करोंगे।
-साइबर मित्र बनकर आप जितने लोगों को जागरूक करेंगे, उतना ही बचाव साइबर अपराध से होगा।
-पत्रिका का ये अभियान बहुत अच्छा है, पुलिस हर वर्ग तक पहुंचकर उन्हें जागरूक करेगी।