मामले में जब आदिवासी अंचल के स्कूलों में बात की गई तो इन स्कूलों के शिक्षकों को पता ही नहीं कि ये टंकियां किसने और कब लगाई है। इन पेयजल यूनिट के संधारण को लेकर भी कोई निर्देश जारी नहीं हुए। विभाग द्वारा पेयजल यूनिट को हैंडओवर भी नहीं किया गया। आदिवासी अंचल के स्कूलों में बच्चे आज भी पीने का पानी अपने घर से ही ला रहे है। स्वच्छता के लिए बनाई गई हैंडवॉश यूनिट के भी ऐसे ही हालात है। बिना नलों के हैंडवॉश यूनिट का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
जल जीवन मिशन के तहत पेयजल टंकियां लगाई गई है, लेकिन इसका संधारण कौन करेगा, इसकी जानकारी या आदेश हमें नहीं मिला है। संकुल के 30 स्कूलों में से 25 में पेयजल यूनिट खराब है या शुरू ही नहीं हुई है।
दुर्गादास डोडे, रोशनी संकुल प्राचार्य
करीब दो साल पहले संकुल की स्कूलों की छतों पर पानी की टंकियां लगाकर, पाइप लाइन खुले छोड़ दिए गए। करीब 34 स्कूलें हैं, जिसमें से 70 प्रतिशत में योजना का कोई लाभ नहीं मिला। तीन साल पीएचइ को ही इसका मेंटेनेंस करना है।
सुनील जैन, संकुल प्राचार्य पटाजन
हमने यूनिट स्थापित कर संधारण भी की, लेकिन शिक्षकों ने हैंडओवर के बाद कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण सारी यूनिट खराब हो गई है। हमारे पास हैंडओवर के दस्तावेज भी है, जिस पर शिक्षकों के हस्ताक्षर लिए गए है।
अनुपम गहोई, प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीएचइ