देवेंद्र वर्मा से पहले खंडवा सीट से बीजेपी के ही हुकुमचंद यादव विधायक थे। उस समय यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी। अब यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जिस पर बीजेपी का कब्जा है। देवेंद्र वर्मा साल 2008 से ही यहां से विधायक हैं। इससे पहले विधायक देवेंद्र वर्मा कुछ समय के लिए अपने पिता पूर्व मंत्री किशोरी लाल वर्मा के निधन के बाद खाली हुई पंधाना सीट से 2006 से लेकर 2008 तक विधायक रह चुके हैं।
कितने वोटर
2018 के विधानसभा चुनाव को याद करें तो खंडवा सीट पर 7 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की थी, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के देवेंद्र वर्मा और कांग्रेस के कुंदन मालवीय के बीच ही था। देवेंद्र को 77,123 वोट मिले तो, मालवीय को 57,986 वोट मिले। देवेंद्र ने 19,137 मतों के अंतर से जीत हासिल की। खंडवा जिले के चार विधान सभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 9,66,716 है। वहीं वर्तमान में खंडवा विधानसभा सीट पर 2,66,818 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1,35,684 हैं, तो महिला मतदाताओं की संख्या 1,31,107 हैं।
राजनीतिक इतिहास
खंडवा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो कांग्रेस को आखिरी बार 1985 में जीत मिली थी, लेकिन तब से अब तक खंडवा से कांग्रेस एक बार भी नहीं जीती। 1990 से लेकर 2018 तक के सभी चुनाव में बीजेपी ने ही जीत का जश्न मनाया है। 1990 के बाद 1998 और 2003 के चुनाव में बीजेपी के हुकुम चंद यादव विजयी रहे तो, 1993 के चुनाव में पुरनमाल शर्मा जीते थे। हालांकि 2008 के बाद से ही लगातार 3 बार से देवेंद्र वर्मा यहां से विधायक हैं। जातिगत समीकरण माना जाता रहा है कि खंडवा विधानसभा सीट पर मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाता राजनीतिक फेरबदल की खासी क्षमता रखते हैं।
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