हाईकोर्ट में लगी याचिका के आधार पर वर्ष 2022 में प्रशासन द्वारा ओंकारेश्वर वार्ड क्रमांक 3 पुराना बस स्टैंड से 19 दुकानों का अतिक्रमण हटाया था। अतिक्रमणकारियों ने मानवता के आधार पर उनके विस्थापन की बात कही थी। जिसके लिए हाईकोर्ट की शरण भी ली थी। हाईकोर्ट में प्रकरण समाप्त कराने नगर परिषद द्वारा इनके व्यवस्थापन की बात कही गई थी। जिसके बाद परिषद द्वारा सम्मेलन में इसका प्रस्ताव भी बनाया गया है। जो शासन के पास पेंडिंग पड़ा हुआ है। सोमवार को कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे दृृगपाल सिंह, मुकेश आदि ने बताया कि सितंबर में नगर परिषद ने एक सूची जारी की है, जिसमें व्यवस्थापन वाले लोगों के नाम है। इस सूची में जिन्हें हटाया गया था, उनकी जगह दूसरे लोगों के नाम लिख दिए गए है। जबकि उन्हें जगह मिलना चाहिए, लेकिन नगर परिषद अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।
हमने संशोधित सूची जारी की
पूर्व में सूची बनी थी, जिसमें अब संशोधन कर नई सूची प्रकाशित की गई है। इसकी जानकारी उन लोगों को भी दे दी है। शासन की व्यवस्थापन नीति के तहत उन्हें विस्थापित किया जाएगा। इसके लिए शासन से भूमि मिलना बाकी है।
संजय गीते, सीएमओ नगर परिषद ओंकारेश्वर
शासन की योजनांतर्गत बनाए गए अमृत सरोवर में दो किसानों की जमीन डूब गई। अब किसान जमीन के लिए प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं। मामला ग्राम कांकरिया में बने अमृत सरोवर बांध का है। सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान महिपालसिंह और राधेश्याम ने बताया कि उनकीजमीन अमृत सरोवर बांध बनने से डूब गई है। जिसके कारण वह खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। उनकी कृषि भूमि में पाइप लाइन भी डली थी, वो भी डूब गई है। शासन के नियमानुसार उन्हें जमीन के बदले जमीन दिया जाना है, लेकिन उन्हें अब तक जमीन नहीं मिली है, जिसके कारण परिवार का पालन पोषण भी करना मुश्किल हो रहा है। परिवार के सामने आर्थिक संकट आ गया है। दोनों किसानों ने कलेक्टर का आवेदन सौंप जमीन दिए जाने की मांग की।