अतिथि विद्वानों ने लगाए नारे : हमारी भूल, कमल का फूल
मप्र अतिथि विद्वान महासंघ के आह्वान पर अतिथि विद्वान इकाई द्वारा मंगलवार को शिक्षण कार्य का बहिष्कार किया गया। उच्च शिक्षा विभाग की दमनकारी नीतियों का विरोध करते हुए ‘हमारी भूल, कमल का फूल…, ‘ना वेतन ना भत्ता है, ये कैसी गुणवत्ता है…, ‘अर्जेंट करो, अर्जेंट करो, हमको परमानेंट करो… जैसे नारे लगाए। अतिथि विद्वानों ने कहा कि मप्र के कॉलेजों में बीते 20 वर्षों से अतिथि विद्वान छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं लेकिन शासन अल्प मानदेय पर अपना काम निकलवा रही है। यूजीसी के सभी मापदंड पर हर वर्ष चयन के बावजूद 11 माह का आमंत्रण देकर मात्र 6 माह काम कराया जाता है। मप्र अतिथि विद्वान महासंघ बीते 20 वर्षों से शासन से नियमितिकरण व संविदा की मांग कर रहा है। लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है। पूर्व में 1989 में तदर्थ प्राध्यापकों को नियमित किया गया था। प्रदेशव्यापी एक दिनी हड़ताल में एसएन कॉलेज के अलावा जीडीसी, हरसूद, मूंदी, पंधाना के अतिथि विद्वान शामिल हुए। डॉ. दीपक वर्मा, डॉ. दिलीप वर्मा, दीपा मोदी, प्रियंका पालीवाल, डॉ. बसंत सोनी, जितेंद्र यादव, डॉ. राधा अलन्से, सारिका ढाकसे, डॉ. निरंजना, साक्षी जैन, त्रिभुवन सिसौदिया, अनुराग प्रजापति, दयाराम खरते, इदरीश खान, राजेंद्र सेन, ज्योति तिवारी, नीलू अग्रवाल, डीपी कुशवाह, डॉ. शेख मुजफ्फर, डॉ. आशुतोष तिवारी, ज्योति चौधरी, डॉ. संजय खांडेकर, सपना तिवारी व अन्य धरना प्रदर्शन में शामिल हुए।
इन कॉलेज में इतने अतिथि विद्वान
एसएन कॉलेज में शासन के 32 व जनभागीदारी समिति के 39, जीडीसी में 15, पंधाना में 5, हरसूद में 12, मूंदी में 7 अतिथि विद्वान कार्यरत है।
अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले अपनी मागों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल चल रही है। १३वें दिन पंधाना ब्लॉक के सिंगोट, गांधव, गुड़ी संकुलों के प्रत्येक स्कूलों में जाकर अतिथि शिक्षकों से समर्थन मांगा जा रहा है। स्कूल जा रहे अतिथियों को हड़ताल में आने का आह्वान किया गया। हड़ताल के विभिन्न कार्यकारिणी सदस्य स्कूलों में जा रहे हैं। भ्रमण कर अतिथियों को स्कूलों का बहिष्कार करने का कह रहे हैं। सिंगोट संकुल प्राचार्य को हड़ताल कर ज्ञापन सौंपा गया।