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खंडवा

मध्यप्रदेश सरकार का ऐसा विभाग जहां मिलेगा आनन्द

मध्यप्रदेश सरकार ने एक नया विभाग सृजित किया है आनंद विभाग … क्या है..यह.. कैसे काम करता है.. आनंदक बनना हो तो कैसे बन सकते हैं.. यही बात बता रहा है सहायक जनसंपर्क अधिकारी हेमलता शर्मा का यह लेख.. प्रदेश में 1717 में से सबसे अधिक बड़वानी में बने हैं 120 आनन्दक, खंडवा से भी 17 लोगों ने कराया पंजीयन

खंडवाJan 09, 2017 / 04:48 pm

Editorial Khandwa

anand department in madhya pradesh government

anand department in madhya pradesh government

खंडवा. आज कल की भाग दौड़ वाली जिंदगी में हर कोई तवावग्रस्त है। एेसे में सभी को आनन्द की आवश्यकता है। अगर आज के समय में किसी से पूछा जाए कि क्या आप प्रसन्न हैं? क्या आपकी जीवन शैली संतुलित है? क्या आप तनाव मुक्त जीवन चाहते है? क्या आप सभी को खुश देखना चाहते है? क्या आप समाजसेवा के लिए तैयार है? यदि इन सभी प्रश्न के जवाब हॉं में है तो आप आनंदक बनने के लिए एक उपयुक्त व्यक्ति हैं। लोगों तक आनन्द पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने आनन्द विभाग बनाया है। राज्य आनंद संस्थान द्वारा नवीन गठित आनंद विभाग के माध्यम से लोगों को नि:शुल्क रूप से आनंदकों का पंजीयन करा सकते हैं। प्रदेश में 1717 में से सबसे अधिक बड़वानी में बने हैं 120 आनन्दक हैं, जबकि खंडवा से भी 17 लोगों ने पंजीयन कराया है। अगर आपको भी इस विभाग से जुडऩा है, तो इसके लिए दूरभाष नंबर 0755.2553333 पर आपको फोन लगाना है। योजना शासन की है किन्तु आनंद एवं शांति प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता है। इसलिए अधिक से अधिक लोग आनंदक के रूप में पंजीयन कराएं।

आनंदक और उनसे अपेक्षाएं
– कोई भी व्यक्ति अपने अन्य सामान्य कार्य कलापों के अतिरिक्त आनंद विभाग की गतिविधियों को स्वप्रेरणा से तथा बिना किसी मानदेय के संचालन करने के लिए तैयार हो।
– राज्य आनंद संस्थान की बेवसाईट का समय समय पर अवलोकन करते रहेंगे ताकि आनंदकों के लिए प्रसारित निर्देश और गतिविधियों की जानकारी मिलती रहेगी
– संस्थान को समय समय पर ऐसा फीडबैक देते रहेंगे, जिससे उसकी गतिविधियों में निरंतर सुधार आ सके।
– अगर उन्हें प्रशिक्षण के अनुसार कार्य करने में कठिनाई का अनुभव हो तो उससे हतोत्साहित न हों
– अपने कर्तव्यों तथा विचारों से दूसरों के लिए सकारात्मक उदाहरण बनेंगे। दूसरों के जीवन जीने की शैली में जो परिवर्तन लाने का प्रसास करेंगे उस परिवर्तन को पहले अपने जीवन में अनुभव करेंगे ताकि वह स्वत: उदाहरण बन सके।
– अन्य व्यक्तियों को भी आनंद की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
– पंजीकरण के दौरान आनंदक संचालित कार्यक्रम जैसे आनंद उत्सव, आनंद सभा, आंनदम में से किसी भी कार्यक्रम में सहभागिता का विकल्प चुन सकेंगे।




क्या हैं आनंद उत्सव और आनंद सभा, आंनदम

क्या है……आनन्द उत्सव
लोक संगीत, नृत्य, गायन, भजन-कीर्तन, नाटक तथा खेलकूद की गतिविधियां परिपूर्ण जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इस मान्यता के आधार पर आनंद उत्सव की परिकल्पना की गई है। आनंद उत्सव के तहत् ग्राम पंचायत, पंचायत समूह स्तर पर सभी आयु वर्ग के ग्रामीण भाई, बहनों के लिए खेल तथा सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे। आगामी वर्षो में इसे ब्लाक तथा जिला स्तर तक भी ले जाया जाएगा। उत्कृष्ट आयोजनों को जिला स्तर पर पुरुस्कृत किया जाएगा।

क्या है…………आनन्दम्
 आनंद विभाग का यह प्रयास है कि ऐसे स्वयंसेवकों, आनंदकों को तैयार किया जाए, जो कार्यालयों में इन्हें सकारात्मक जीवन शैली अपनाने की आवश्यक विधियां उपलब्ध करा सकें। स्वयंसेवक निजी क्षेत्र से अथवा उसी कार्यालय के कर्मचारी हो सकते हैं। शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है। इसका लोक सेवाओं के प्रभावी प्रबंधन तथा प्रदाय से सीधा संबंध है। भौतिक सुविधाएं तथा समृद्धि अकेले आनंदपूर्ण मनोस्थिति का कारक नहीं होती। यह आवश्यक है कि प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों का दृष्टिकोण जीवन की परिपूर्णता की मौलिक समझ पर आधारित हो।

क्या है…….. आनंद सभा
आनंद विभाग का यह प्रयास है कि विद्यार्थियों को प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के माध्यम से तथा शिक्षकों के सहयोग से अपनी आंतरिक क्षमता को विकसित करने का अवसर मिलना चाहिए। स्कूल तथा कालेजों के विद्यार्थियों को सशक्त एवं परिपूर्ण जीवन जीना सिखाने के लिए उन्हें ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित किया जाना चाहिए जो सकारात्मक जीवन शैली का आधार बन सकती है। पारंपरिक रूप से नैतिक मूल्य पाठ्यक्रमों का भाग अवश्य होते हैं तथा उनका मनोवृत्तियों पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। स्वजागरूकता, पारस्परिक सहयोग, सहानुभूति, प्रभावशाली संवाद, निर्णय क्षमता, कठिनाई का सामना, सृजनात्मकता, समीक्षात्मकताएं, भावना को समझना, तनाव रहित जीवन जैसे विषयों की मौलिक समझ विकसित करना आवश्यक है। 

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