इस आधार पर UNESCO देता है विश्व धरोहर का दर्जा
खजुराहो मंदिरों के बारे में जानने से पहले ये बात समझ लें कि, यूनेस्को किस आधार पर किसी स्थल को विश्व धरोहर का स्थान देता है। आपको बता दें कि, यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में उन स्थलों को शामिल किया जाता है, जिनका कोई खास भौतिक या सांस्कृतिक महत्व हो। इनमें इस तरह का संदेश प्रदर्शित करने वाले जंगल, झील, भवन, द्वीप, पहाड़, स्मारक, रेगिस्तान, परिसर या शहर को शामिल किया जाता है। हालांकि, अब तक यूनेस्कों द्वारा जारी सूची में पूरे विश्व की 981 धरोहरों को स्थान दिया गया है। यानी ये वो धरोहर हैं, जिन्हें विश्व की धरोहर कहा जाता है। इनमें से 32 विश्व की विरासती संपत्तियां भारत में भी मौजूद हैं। इन 32 संपत्तियों में से 25 सांस्कृतिक संपत्तियां और 7 प्राकृतिक स्थल हैं। इन्ही में से 3 विश्व धरोहरों का गौरव मध्य प्रदेश को भी प्राप्त है, जिसमें से एक है खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध मंदिर हैं। आइए जानते हैं इस विश्व धरोहर के बारे में खास बातें।
-खजुराहो के मंदिरों का समूह है विश्व धरोहर
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 376 किलोमीटर दर छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित चंदेल राजाओं द्वारा निर्माण कराए गए मंदिरों की खूबसूरती को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है। हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का सबसे बड़ा समूह यहां स्थित है। इन्हें विश्व की सबसे खूबसूरत और सबसे प्रसिद्ध विरासतों में से एक माना जाता है। इन मंदिरों को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में साल 1986 में शामिल किया गया था। पहले इसे खर्जूरवाहक नाम से जाना जाता था। खजुराहो के ये मंदिर देश के सबसे खूबसूरत मध्ययुगीय स्मारक हैं। यहां स्थित मंदिरों का निर्माण चंदेलशासकों द्वारा 950 से लेकर 1050 ई के बीच कराया गया है। इन मंदिरों को जटकरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें नागर शैली में बनवाया गया है।
इन मंदिरों की है अलग पहचान
इन भव्य और सांस्कृतिक मंदिरों का निर्माण चंदेल के हर शासक ने अपने शासनकाल के दौरान कम से कम एक मंदिर का निर्माण कराकर किया। मंदिरों का निर्माण कराना चंदेलों की परंपरा रही है इसलिए खजुराहो के सभी मंदिरों का निर्माण किसी ना किसी चंदेल शासक द्वारा कराया गया है। मुख्य तौर पर ये स्थान अपनी वास्तु विशेषज्ञता, बारीक नक्काशियों और कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि, इस रचना को यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया। खजुराहो के मंदिरों की सुंदरता और आकर्षण के कारण ही इन्हें वैश्विक ख्याति प्राप्त हुई है।
आकर्षण का केन्द्र बनी इन मूर्तियों को यहां स्थापित दीवारों, खम्भों आदि पर देखा जा सकता है। मूर्तियों के माध्यम से सांसकृतिक सुख के बारे में गहन जानकारी दर्शाई गई है। यहां स्थापित मूर्तियों में हमारे रोज़मर्रा की जीवनशैली का भी विवरण है। कई शोधकर्ता और विद्वान मानते हैं कि, इन मूर्तियों के चित्रण से एक खास संदेश दिया गया है, जो मंदिर में प्रवेश करने वाले भक्तों पर लागू होता है, कि मंदिर में प्रवेश करने वाले अपने साथ जुड़े विलासिता पूर्ण मन को बाहर छोड़कर स्वच्छ मन से मंदिर में प्रवेश करें। इस विलासिता युक्त मन से छुटाकारा पाने के लिए ज़रूरी है इनका अनुभव करना। इसलिए इन मूर्तियों का चित्रण सिर्फ मंदिर के बाहरी छोर पर किया गया है।
नागर शैली में बनाए गए इन मंदिरों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है
-पश्चिमी समूह वाले
कंदरिया महादेव मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, लक्षमण मंदिर और मातंगेश्वर मंदिर
-पूर्वी समूह वाले (जैन मंदिर)
पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, घंटाई मंदिर
-दक्षिण समूह वाले
दूल्हादेव मंदिर, चतुर्भुज मंदिर
बीजमंडल की खोज
इसके अलावा हालही में प्राचीन मंदिरों के समूह की खोज भी की गई है। इन मंदिरों के समूह को बीजमंडल नाम दिया गया है। खजुराहो में उत्खनन कर निकाले जा रहे मंदिरों के इन समूहों को अब तक की पुरातत्विक बड़ी खोज माना जा रहा है, जिसका उत्खनन कार्य लगातार जारी है।
इस तरह आसान होगा खजुराहो का सफर
वैसे तो ये विश्व प्रसिद्ध स्थल मध्य प्रदेश में स्थित है, जिसकी राजधानी भोपाल से दूरी 376 किलोमीटर है। लेकिन, इस मनमोहक धार्मिक स्थल तक मध्य प्रदेश या देश से बाहर के लोग उत्तर प्रदेश के रास्ते झांसी शहर से जाना आसान होगा। झांसी से खजुराहो की दूरी ट्रेन से 175 किलोमीटर है, लेकिन आप यहां से वाया रोड भी जा सकते हैं। इसके लिए आपको ट्रेवल या टूरिस्म बस की सहायता लेनी होगी। पहले आप छतरपुर जाएंगे वहां से खजुराहो। अगर आप ट्रेन के माध्यम से जाते हैं, तो खजुराहो रेलवे स्टेशन से आपको प्राइवेट टेक्सी या सिटी बस की मदद लेनी होगी, वो आपको इन दर्शन स्थलों तक पहुंचा देंगे।