ऑक्सीजन प्वाइंट लगाने के लिए 27 लाख रुपए में ठेका दिया गया था, जिसके मुताबिक ठेकेदार ने अपना काम पूरा कर दिया है। काम पूरा होने के बाद ठेकेदार ने जिला अस्पताल को ऑक्सीजन प्लांट हैण्डओवर करना चाहा, लेकिन सिविल सर्जन ने कार्य वेरिफिकेशन के बाद ही हैंडओव्हर लेने की शर्त रखी है। जिसके चलते पांच माह से न तो वेरिफिकेशन हो पाया है और न ही ये ऑक्सीजन सप्लाई शुरू हो सका है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एसके तिवारी का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट तो ठेकेदार ने तैयार कर दिया है, लेकिन उसमें कुछ खामियां हैं। कुछ समय पूर्व इसे शुरू करने के लिए ट्रायल लिया गया था। तब कुछ प्लाइंट पर ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही थी। इसलिए इसे शुरू नहीं किया जा सका है।
सिविल सर्जन ने बताया कि आधे-अधूरे रूप से शुरू करने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए कलेक्टर ने वेरिफिकेशन के लिए एक निजी संस्था को निर्देशित किया था, जिसकी रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट देखने के बाद ही इसे शुरू करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त सिलेंडर मौजूद है। उसी के ऊपर निर्भर नहीं है।
जिला अस्पताल में एक और ऑक्सीजन प्लांट सीजीएमसी द्वारा लगाया जा रहा है। उसमें भी 50 प्वाइंट होगा, जिसका काम शुरू चुका है। लगभग दो माह के भीतर इसे तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद ऑक्सीजन प्वाइंट की संख्या 100 हो जाएगी। जल्द ही मरीजों को इसका लाभ मिलेगा।
कोविड-19 के दौरान अगर इसका उपयोग शुरू हो जाता तो मरीजों को काफी राहत मिलती। मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल प्रबंधन ने 27 लाख रुपए खर्च कर इसे तैयार कराया था। लेकिन उसी प्रबंधन की लापरवाही कहे या देरी के चलते ये शुरू नहीं हो सका है। जबकि जिला अस्पताल में ही समय पर ऑक्सीजन न लगने से मरीज की मौत होने की घटना सामने आ चुकी है।
सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम को प्रारंभ नहीं होने के चलते ही भाजयुमो कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध जताते हुए सीएमएचओ को ज्ञापन सौंपा गया। इस ेदौरान भाजयुमो जिलाध्यक्ष कैलाश चंद्रवंशी ने कहा कि तत्कालीन सिविल सर्जन और ठेकेदार की मिलीभगत के कारण ही ऑक्सीजन पाइप लाइन में लीकेज और अन्य कारणों से आज तक प्रारंभ नहीं हो पाया है। भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम को तत्काल प्रारंभ करने की मांग की। वहीं संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की भी मांग की।