न्याय की फ रियाद लिए दूधमुंहे बच्चे को लेकर 15 वर्षीय मां पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। वहां पर उन्होंने अपनी आपबीती बताई और पुलिस प्रशासन से न्याय दिलाने की मांग रखी। पीड़ित बालिका व उसके पिता ने बताया कि युवक जो पहले से शादीशुदा है और उसके बच्चे हैं उसने बालिका को प्रेमजाल में फं साया। उसके मना करने के बाद भी उसके साथ जबरदस्ती
शारीरिक संबंध बनाया। बालिका गर्भवती हो गई, लेकिन उसे पता न चला। बालिका कमजोर होने लगी तो परिजनों ने उसे अस्पताल ले गए, तब पता चला कि बालिका गर्भवती है।
युवक को जेल भेज दिया गया
परिजनों से बालिका से पूछा तो युवक के बारे में पूरी जानकारी दी। इस पर बालिका के परिजन युवक के परिजनों से मिलने गए और बालिका को उसके साथ रहने के लिए कहा, लेकिन युवक और उसके परिजन इससे इनकार कर दिए। इस पर बालिका के परिजनों की ओर से थाने में शिकायत हुई। शिकायत पर आरोपी युवक को जेल भेज दिया गया। दूसरी ओर से 14 वर्षीय बालिका ने एक बच्चे को जन्म दिया। मामला कोर्ट पहुंचा लेकिन कुछ माह के भीतर ही युवक बाईज्जत बरी हो गया। इसके बाद बालिका बच्चे को लेकर युवक के घर गई, लेकिन युवक द्वारा उसे नहीं रखा। जिसने जिंदगी बर्बाद की वह अपनाएं
पीड़िता व उसके पिता का कहना है युवक ने उसके साथ
मारपीट कर उसे भगा दिया। बालिका फिर से उसके घर गई तो एक कमरे में रखने दिया, लेकिन खाना नहीं दिया। भूखी प्यासी मां अपनी बच्ची को लेकर अपने माता पिता के घर लौट गई। परिजनों की ओर से काफी मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन युवक व उसके परिजन नहीं मान रहे। सामाजिक रुप से बैठक किया गया, उसमें भी समाधान नहीं निकाला जा सका।
इसके चलते बालिका अपने बच्चे और परिजन को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। उनकी एक ही फरियाद है कि वह बालिका अपने दूधमुंहे बच्चे को लेकर कहां भटकेगी, जिसने उसकी जिंदगी बर्बाद की वह उसे अपना लें।
डीएनए टेस्ट कराने से इनकार
इस पूरे मामले की पीड़िता के पक्ष को लेकर सबसे कमजोर कड़ी ये है कि युवक कोर्ट केस में बरी हो चुका है। फरवरी 2023 में पीड़िता की रिपोर्ट पर कोतवाली थाने में 376 व पॉक्सो का मामला दर्ज हुआ था, जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। 24 नवबर 2023 को इसका फैसला आया, जिसमें साक्ष्य के अभाव में व पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी दोषमुक्त हो गया। मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता ने डीएनए टेस्ट कराने से भी इंकार कर दिया था। लिहाजा कोई ठोस सबूत न मिलने से युवक बरी हो गया। तब पीड़िता ने 10 महिने तक इस मामले में कोई आवाज नहीं उठाई। अब एक बार फिर वह युवक के साथ रहना चाहती है। जिस बच्चे को लेकर वो घूम रही है अब न तो वह युवक उसे रखना चाह रहा है। न ही रुपए-पैसे की मदद कर रहा है। लिहाजा पीड़िता दर-दर भटकने को मजबूर है।
डीएनए टेस्ट कराने से भी मना कर दिया
पीड़ित
नाबालिग लड़की ने किसके कहने पर बयान दिया, क्यों दिया। डीएनए के लिए क्यों मना किया। इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। अब पीड़िता के पास एक ही विकल्प रह गया है कि वह फिर से न्यायालय में गुहार लगा सकती है, जिसमें वह डीएनए टेस्ट की मांग उठा सकती है। न्यायालय की शरण में जाने के बाद न्यायालय चाहे तो बच्चे व उसकी मां के साथ पिता का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश मिल सकता है। अगर ऐसा होगा तो पीड़िता व उसके बच्चे को न्याय मिलने की उमीद बढ़ जाएगी।
जमीन के मामले को लेकर विवाद चल रहा
वहीं मामले में पीड़िता एसपी से शिकायत करने पहुंची थी। इस पर एसपी डॉ.अभिषेक पल्लव ने कहा कि पीड़ित लड़की के पिता व युवक के पिता की आपस में जमीन के मामले को लेकर विवाद चल रहा है। जिसे लेकर दोनों परिवार के बीच दो-तीन दफे एफ आईआर दर्ज कराया गया है, जिसकी जांच चल रही है। वहीं नाबालिग के मामले में जो मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया। उसकी सुनवाई पूरी हो गई है। नवबर 2023 में लड़की जिस युवक पर आरोप लगा रही है उस मामले में दोषमुक्त हो चुका है।