शहर के मिनीमाता चौक के पास लॉज है। उसी परिसर में मून सिटी क्लब के नाम लाइसेंस लेकर बार चलाया जा रहा था। 8 दिसंबर को आबकारी विभाग के वृत्त प्रभारी कवर्धा द्वारा मून सिटी क्लब एफएल 4(क) बार का निरीक्षण किया, जहां पर कई प्रकार की अनियमितता पायी गई। इसमें बताया कि क्लब में अनुज्ञप्तिधारी के प्रतिनिधि द्वारा क्लब के सदस्यों के अलावा अन्य व्यक्तियों को अनुज्ञप्त परिसर में मदिरा परोसा जाता है लायसेंस शर्त क्रमांक 2 का उल्लंघन है। मांगे जाने पर क्लब के सदस्यों के सदस्यता संबंधी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रस्तुत सदस्य सूची में 356 क्लब सदस्यों के नाम, पिता का नाम और आधार नंबर की सूची उपलब्ध करायी जिसकी जांच करने पर 181 सदस्य बीपीएल कार्डधारी पाए गए जो अत्यंत गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। कई प्रकार की अनियमिता और लाइसेंस सेवा शर्त के उल्लंखन के चलते कलक्टर ने सीलबंद कराया।
लाइसेंस निलंबित कलक्टर ने आदेश में कहा कि त्रुटि के चलते लायसेंस, आबकारी अधिनियम की धारा 31(1) ख के अंतर्गत निलंबित/रद्द किए जाने योग्य है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आबकारी अधिनियम की धारा 31(1) ख के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मून सिटी व्यवसायिक क्लब एफएल 4(क) बार लायसेंस को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि का संपूर्ण राजस्व लायसेंसी द्वारा देय होगा। लायसेंस निलंबन के लिए किसी प्रकार के प्रतिकर पाने या उसके सबंध में चुकाई गई किसी फ ीस या निक्षेप के प्रतिदाय का हकदार नहीं होगा।
जांच में यह बात भी सामने आयी कि क्लब से मदिरा का सील बंद बीयर की बोतल का विक्रय, पार्सल किया गया, जो लायसेंस शर्त क्रमांक 6 का उल्लंघन है। इसी प्रकार 12 दिसंबर को भी वक्त निरीक्षण क्लब में अनुज्ञप्तिधारी के प्रतिनिधि द्वारा क्लब के सदस्यों के अलावा अन्य व्यक्तियों को अनुज्ञप्त परिसर में मदिरा परोसा जाना पाया गया। उक्त अनियमितताएं मून सिटी व्यवसायिक क्लब बार अनुज्ञप्ति के लायसेंस शर्त क्रमांक 2, सामान्य लायसेंस शर्त क्रमांक 6 का उल्लंघन है। तद्संबंध में पायी अनियमितता के लिए वृत्त प्रभारी कवर्धा द्वारा प्रकरण कायम किया गया।
राजनीतिक दबाव: पहले कभी जांच तक नहीं उक्त मून सिटी क्लब बार का लाइसेंस महिला के नाम पर है जिसका प्रतिनिधि वार्ड क्रमांक 16 के पार्षद अशोक सिंह हैं। मुख्य रुप से यही लॉज, रेस्टारेंट और बार का संचालन करते हैं। पिछले पांच वर्ष से यही स्थिति रही, मतलब क्लब के नाम पर बार चलाया गया, लेकिन आबकारी विभाग या फिर जिला प्रशासन को अनियमितता या फिर लाइसेंस शर्त का उल्लंघन दिखाई नहीं दिया, क्योंकि राजनीतिक दबाव था। अब चूंकि सत्ता सरकार बदल गए तो अधिकारियों को गलतियां भी दिखाई देने लगी।