Chhattisgarh khajuraho temple : यहाँ पर दूर दू-दूर से भक्त दर्शन करने आते है। इस मंदिर के बारे में कई रोचक कहानियां प्रचलित हैं। जो लोगो को यहाँ आने पर मजबूर करती हैं। यह कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर प्रकृति की सुंदरता के बीच बसा हुआ है। l मंदिर के अंदर पाषाण युग के समय की कई मूर्तियां भी हैं।
मंदिर के अंदर विराजमान है अष्टभुजी गणेश जी Chhattisgarh khajuraho temple : यह मंदिर भगवान शिव के नाम से ज्यादा जाना जाता है। पर इसके गर्भगृह में गणेश जी भी विराजमान है। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक यह गजानन की अनोखी मूर्ति है। गणेश ऐसी दूसरी मूर्ति विश्व में नहीं है। यह अष्टभुजी मूर्ति है। यही इनकी आठ भुजाएं हैं। इनको तांत्रिक गनेशी भी कहते है।
11वीं सदी में नागवंशी राजा ने बनाया था मंदिर Chhattisgarh khajuraho temple : जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने किया था। ऐसी मान्यता है कि गोंड राजाओं के देवता भोरमदेव थे। र वह भगवान शिव के उपासक थे। इसलिए इस मंदिर का नाम भोरमदेव रखा गया। इस मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब है। जिसमें लोग बोटिंग करते है। इस मंदिर में चारों तरफ पर्वत समूह है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए घाटी नुमा सड़कों से गुजारना पड़ता है।