मई में हुआ था आंकलन
स्वच्छता आंकलन 15 मई तक 997 गांव में चला था। सर्वे के लिए 532 स्वच्छताग्राही लगाए गए थे। 1626 संस्थाओं में भी स्वच्छता आंकलन कराया गया था। जिन घरों में प्रसाधन नहीं है या फिर उपयोगहीन हैं उसके बाद काम होना था वह नहीं कराया गया। काबिले गौर है है कि 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर स्वच्छता पर कार्यक्रम किया जा रहा है, लेकिन बापू के सपने से अभी भी कई परिवार महरूम हैं। अब दो अक्टूबर को ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया जाएगा। जिनके घरों में प्रसाधन नहीं है इसमें यह बात सामने आए कि पूर्व में कोई लाभ नहीं मिला। परिवार विघटित किया जा चुका है। दो अक्टूबर को यह प्रक्रिया हो सकती है।
उद्देश्य पर नहीं काम
जिले को ओडीएफ करने के लिए हर अधिकारी-कर्मचारी का फोकस रहा है। इसमें यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी हुई है तो उसे इस अभियान के माध्यम से पकड़ा जाना था। क्रॉस चेक करके यदि कहीं पर दोबारा प्रसाधन बनाए जाने की आवश्यकता थी या फिर मरम्मत की तो वह भी की जानी थी। इसके अलावा विचार परिवर्तन सहित अन्य समस्याएं निकलकर आती हैं तो फिर उसमें काम करके स्वच्छता अभियान न बनाकर इसे विचारधारा में परिवर्तन करने पर फोकस होना था वह नहीं हुआ।
शहरी क्षेत्र में गंभीर समस्या
स्वच्छ भारत मिशन की हालत सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्र में खराब है। 5 हजार से अधिक ऐसे परिवार अब भी शहर में रह रहे हैं, जिनके पास प्रसाधन ही नहीं है। पूरा परिवार खुले में शौच करने को विवश है। सबसे ज्यादा समस्या आधारकारकाप, प्रेमनगर, उडिय़ा मोहल्ला, इंद्रानगर, खिरहनी में है। शहर के उपनगरीय क्षेत्र में अधिक समस्या है। नगर निगम द्वारा स्वच्छता पर ध्यान नही नहीं दिया जा रहा।
यह है जिले में स्वच्छता की हकीकत
केस 01
सुमित्रा पति छदामी महोबिया निवासी ग्राम खमरिया की मानें तो उनके घर में शौचालय नहीं हैं। उनकी इतनी सामथ्र्य भी नहीं है कि वे प्रसाधन का निर्माण करा सकें। मजबूरी में उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। कई बार सरपंच-सचिव से गुहार लगा चुकी है, लेकिन योजना का लाभ नहीं मिला।
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केस 02
सिया बाई निवासी सेमली विकासखंड ढीमरखेड़ा की रहने वाली हैं। सिया बाई के अनुसार 12 हजार रुपये की लागत का इनके घर में प्रसाधन तो बना है, लेकिन उसकी उपयोगिता नहीं है। गुणवत्ता विहीन शौचाल होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया, लिहाजा परिवार को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।
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केस 03
जिलेभर में कई ऐसे परिवार हैं, जिनक घर में शौचालय नहीं है। उन्हीं में शामिल हैं वृंदावन सेन निवासी ग्राम दशरमन। वृंदावन का कहना है कि गांव में अधिकांश लोगों के प्रसाधन बन गए हैं, लेकिन उनके घर पर नहीं बना। जबकि कई साल से वे परिवार से अलग रह रहे हैं।
केस 04
अधिकांश प्रसाधनों के निर्माण में सिर्फ औपचारिकता की गई है, जिससे प्रसाधन उपयोग के लायक नहीं है। ऐसा ही कुछ हाल है दशरमन के वृंदावन पटेल पिता कढ़ोरी लाल के शौचालय का। वृंदावन के अनुसार अधूरा प्रसाधन बनाया गया है। गड्ढा खुला है। गंदगी फैल गई है। बीमारी फैलने के कारण उपयोगहीन है।
इनका कहना है
बेसलाइन सर्वे के अनुसार जिला एक साल पहले ओडीएफ घोषित हो चुका है। जिन घरों में प्रसाधन नहीं है उनकी वास्तविकता का पता कराया जाएगा। आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
जगदीशचंद गोमे, जिला पंचायत सीइओ।