ज्यादा शोरगुल से ये होती हैं परेशानियां
शासकीय जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. एसके शर्मा के मुताबिक न्वाइस पाल्युशन सबसे खतरनाक है। ज्यादा शोरगुल होने से लोगों में चिड़चिड़ाहटपन, गुस्सा, इरीटेशन, हाईपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, कम सुनाई देना, अनिद्रा और हृदय रोग संबंधी परेशानी हो सकती है। स्थाई रूप से बहरेपन की भी आशंका बनी रहती है।
किस क्षेत्र में कितने डेसीबल शोरगुल
संबंधित क्षेत्र दिन में रात में
रहवासी 55 45
व्यवसायिक 65 55
औद्योगिक 75 70
साइलेंस जोन 50 40
किससे कितने डेसीबल होता है शोर
अलार्म क्लार्क 80 डेसीबल
आपसी बातचीत 60 डेसीबल
डीजल ट्रक साउंड 95 डेसीबल
इमरजेंसी सायरन 115 डेसीबल
पटाखा 145 से 150 डेसीबल
12 बोर बंदूक 160 डेसीबल
डीजे साउथ 1८0 डेसीबल
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ये हैं नियम
मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के अंतर्गत शोरगुल पर लगाम कसने के लिए नियम बनाए गए हैं जिनके अनुसार –
– धारा 4 के अनुसार रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक तेज संगीत नहीं बजाया जा सकता।
– धारा 7 के अनुसार कोलाहल को फैलने से रोकने के लिए लाउडस्पीकर को लकड़ी के केबीनेट में बंद करना जरूरी है।
– धारा 15 के अंतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वाले को 6 माह का कारावास और 1 हजार रुपए जुर्माने की सजा है।
इनकी चल रही परीक्षाएं
कक्षा ९वीं और ११वीं की परीक्षाएं शुरू हो चुकी है। छात्र पढ़ाई कर एक्जाम दे रहे हैं। कक्षा १०वीं की परीक्षा १ मार्च और १२वीं की परीक्षाएं ३ मार्च से शुरू होने जा रही हैं।
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पुलिस से कर सकते हैं शिकायत
डीजे रात 10 बजे के बाद पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उसमें भी केवल एक बाक्स अथवा स्पीकर एलाऊ रहता है। इससे ज्यादा प्रयोग करने पर कार्रवाई होती है। यदि कोई व्यक्ति डीजे संचालकों के खिलाफ शिकायत करता है तो कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। समस्या होने पर लोग स्थानीय पुलिस से शिकायत कर सकते हैं, पुलिस भी कार्रवाई के लिए अधिकृत है।
राजेन्द्र पटेल, एसडीएम, कटनी