कटनी में लगातार बारिश से आई बाढ़। गांवों में डूब गए घर।
जिले में दो दिन पहले तक सूखे जैसे हालात थे, लेकिन मंगलवार से अचानक शुरू हुई तेज बारिश के बाद जिले के हालात एकदम बदल गए हैं। तीन तहसील क्षेत्र में बाढ़ के हालात निर्मित हो गए हैं तो वहीं 18 गांव टापू में तब्दील हो गए हैं।
कटनी जिले में हो रही लगातार बारिश के बाद गुरुवार 25 जुलाई को ढीमरखेड़ा, उमरिया पान व स्लीमनाबाद तहसील क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव में जल प्लावन की स्थिति बनी हुई है। आधा दर्जन से अधिक गांव पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है। पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
कोई छत में चढ़कर तो कोई पेड़ में चढ़कर जान बचा रहा है। पुलिस प्रशासन की टीम, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू कर रही है। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा कर उनके भोजन और आवास की व्यवस्था की गई है। लगातार लोगों को बचाने की कोशिश जारी है। कई मवेशी बाढ़ में बह गए हैं।
एक युवक बहा
लोगों का कहना है कि यहां एक युवक तेज पानी के बहाव में बह गया। मामले में पुलिस का कहना है कि अभी तक हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है।
जनजीवन प्रभावित
आसमान से बरसी आफत के कारण ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। बाढ़ के कारण हजाराें लोगों की जान पर बन आई है। लोग राहत की गुहार लगा रहे हैं। पुलिस-प्रशासन भी रेस्क्यू करते हुए बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित कर रहा है। इसकी मुख्य वजह जिले में पिछले 24 घंटे में 134 मिमी बारिश का होना है।
स्लीमनाबाद में 140 मिमी, ढीमरखेड़ा में 177.2 व उमरियापान तहसील क्षेत्र में 164.2 मिमी बारिश दर्ज की गई है। भयंकर बारिश के कारण कई कच्चे-पक्के मकान ढह गए हैं तो वहीं बस्तियां पानी में ढूब गई हैं।
ढीमरखखेड़ा, उमरियापान, स्लीमनाबा के कई गांवाें का मुख्य कस्बों व मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। ग्रामीणों को बचाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व जिला प्रशासन की टीम मुस्तैद हैं। वहीं दूसरी ओर कटनी-जबलपुर रेलखंड पर स्लीमनाबाद से डुंडी रेलवे स्टेशन के बीच पानी भर जाने से रेल यातायात बाधित रहा।
बारिश के बाद किसानाें के चेहरे पर भी मुस्कान बिखरी है, हालांकि शेष तहसीलों में सामान्य बारिश हुई है। बरही, बड़वारा, रीठी में 50 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
ये गांव बने टापू, बाढ़ की चपेट में
ढीमरखेड़ा क्षेत्र के ठिर्री, कछारगांव छोटा, सेमरिया, पोड़ी खुर्द, पोड़ी, कला, पिपरिया शुक्ल, सगौना, पिंडरई, टोपी, पिपरिया सहलावन, ढीमरखेड़ा, हरी, गुदरी टापू बन गए हैं। छोटा कछारगांव, घुघरी, पोड़ी खुर्द में रेस्क्यू कर 150 लोगाें को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। होमगार्ड के जवान जान की बाजी लगाकर लोगाें को बचा रहे हैं। वहीं स्लीमनाबाद का शांतिनगर मोहल्ला व हरदुआ गांव टापू बना है।
इन मार्गों का संपर्क टूटा
भयंकर बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं। उमरियापान से ढीमरखेड़ा गर्राघाट में बेलकुंड नदी का जल स्तर बढ़ने से मार्ग बंद है, भनुपरा से बरेली मार्ग, कटनी से ढीमरखेड़ा मार्ग पूरी तरह बंद है। इसी प्रकार स्लीमनाबाद से भेड़ा, स्लीमनाबाद से बिलहरी मार्ग संगम पुल, खिरहनी से पिपरिया मार्ग, बंधी स्टेशन से मटवारा मार्ग बाधित है।
पिपरिया शुक्ल में हालात खराब, छतों में जाकर बचाई जान
बेलकुंण्ड नदी का पानी पिपरिया शुक्ल से होकर निकलता है। इसलिए इस गांव का आधा हिस्सा पानी में डूबा रहा। कच्चे मकान पानी में डूबकर ढह गए, जबकि पक्के घरों में पानी घुस गया। अन्य लोगों के घरों में लोगों ने रहने की व्यवस्था बनाई। कई लोग घरों की छतों में बीते दो दिन से गुजारा कर रहे हैं।
गांव के पन्ना लाल नामदेव, राममित्र पटेल, राजू पटेल, दुर्गा यादव, फूलचंद यादव, तेजी साहू के मकानों को क्षति पहुंची। नदी किनारे गांव होने से यहां ग्रामीणों को ज्यादा परेशानी है। यहां भी डूब में फंसे लोगों को रेस्क्यू टीम ने सुरक्षित स्थान पर किया।
सिमरिया गांव में 10 फीट पानी
सिमरिया गांव में सड़क के करीब 10 फीट ऊपर तक पानी भर गया। मुख्य मार्ग पर एक किलोमीटर की दूरी तक पानी ही पानी रहा। बस्ती के भीतर लोगों के घरों में पानी घुस गया।
पानी कम होने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। गांव के वीरेंद्र सेन, कमलेश गौतम, महेश झारिया, सुभाष लखेरा, शरद असाटी के मकानों को क्षति पहुंची। इतना ही नहीं यहां सड़क किनारे बने हनुमान मंदिर की छत के स्तर तक पानी आ गया। मंदिर में स्थापित भगवान की प्रतिमाएं डूब गईं। गांव में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए। ग्रामीणों को ज्यादा समय तक परेशान होना पड़ा।
शहर में सड़कें डूबी, घरों में भरा पानी
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के कटनी शहर के उपनगरीय क्षेत्र समदड़िया कॉलोनी की है। माधवनगर क्षेत्र में पानी निकासी की व्यवस्था न होने के कारण मुख्य मार्ग में पानी भ गया, जिससे आवागमन बाधित रहा। इसके अलावा कॉलोनी में पानी भरा रहा। यहां पर युवकों ने बॉथ टब की नाव बनाकर चलाई और विरोध दर्ज कराया। नगर निगम के इंतजामाें की पूरे शहर में पोल खुलकर सामने आई।
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