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ढाई एकड़ में पांच लाख खर्च कर किसान ने लगाए ग्राफ्टेड बैगन, ढाई साल तक होगा 14 लाख मुनाफा, गजब का है तरीका

पेशे से कांटी प्राथमिक स्कूल में प्रधानायापक और हजारों रुपये की हर माह तनख्वाह होने के बाद एक शिक्षक ने 37 साल की नौकरी से 2018 में बीआरएस लेकर अब खेती में हाथ आजमा रहे हैं। खेती में उन्नत तकनीक को अपनाकर मुनाफा की राह में आगे बढ़े हैं। हम बात कर रहे हैं कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम जिवारा निवासी कृषक ओमप्रकाश मिश्रा की।

कटनीMar 26, 2020 / 09:32 pm

balmeek pandey

Farmers are earning profits from grafted brinjal farming

Farmers are earning profits from grafted brinjal farming

बालमीक पांडेय @ कटनी. पेशे से कांटी प्राथमिक स्कूल में प्रधानायापक और हजारों रुपये की हर माह तनख्वाह होने के बाद एक शिक्षक ने 37 साल की नौकरी से 2018 में बीआरएस लेकर अब खेती में हाथ आजमा रहे हैं। खेती में उन्नत तकनीक को अपनाकर मुनाफा की राह में आगे बढ़े हैं। हम बात कर रहे हैं कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम जिवारा निवासी कृषक ओमप्रकाश मिश्रा की। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ढाई एकड़ में ग्राफ्टेड बैगन की खेती की है। इसमें किसान को पांच लाख रुपये की लागत आई है। अब दो साल में किसान को सीधे-सीधे 14 से 15 लाख रुपये का मुनाफा होगा। खेत में उत्पादन शुरू हो गया है। किसान ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि ग्राफ्टेड बैगन मदर प्लांट के बाद तैयार किया जाता है। इसे 3 बाइ 6 में लगाया है। एक एकड़ में 2400 पौधे लगाए हैं। किसान ने बताया कि ग्राफ्टेड बैगन के पौधे रायपुर (छत्तीसगढ़) से लाकर यहां रोपे हैं। साढ़े पांच हजार पौधे लगाए हैं। 10 रुपये का एक पौधा आया है, 55 हजार के पौधे, 15 हजार परिवहन में खर्च किए हैं। एक एकड़ में किसान को पौने दो लाख रुपये लागत आई है। किसान विकाखंड उद्यानिकी अधिकारी टीएन तिवारी से भी समसमायिक जानकारी ले रहे हैं।

यह है मुनाफे का गणित
किसान के अनुसार इसमें ड्रिप और मल्चिंग पद्धति का भी उपयोग किया गया, जिससे न सिर्फ खरपतवार से मुक्ति मिली है बल्कि समय-समय पर सीधे पौधे को पानी और उर्वरा शक्ति प्लांट के माध्यम से मिल रही है। खास बात यह है कि बैगन का पौधा दो से ढाई साल तक रहेगा। इसकी ऊंचाई चार से पांच फीट की होगी। अभी ढाई फीट हो गया है। दो साल तक एक बैगन के पौधे में 40 किलोग्राम बैगन का उत्पादन होगा। अभी फू्रटिंग शुरू हो गई है। एक एकड़ में किसान को 80 से 100 टन उत्पादन होता है। इसमें किसान को औसतन सात से आठ लाख रुपये की फल होगी। दो से तीन लाख रुपये लागत काटकर सीधे-सीधे 4 से 5 लाख रुपये की एक एकड़ से आमदनी होगी।

बिजली का नहीं है झंझट
खास बात यह है कि किसान को बिजली का झंझट नहीं हैं। बिजली के अभाव में सिंचाई प्रभावित न हो इसके चलते ओपी मिश्रा ने खेत में तीन एचपी का सोलर पंप भी लगाए हुए हैं। ढाई से तीन एकड़ खेत में सोलर पंप से ही सिंचाई करते हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में इसी पंप का सहारा लेते हैं। पानी के साथ बिजली भी पंप से जला रहे हैं।

सोलर फेंसिंग से फसल की सुरक्षा
ग्रामीण क्षेत्र में जंगली शूकर, बंदरों सहित अन्य जानवरों का आतंक रहता है। ऐसे में फसल को बचाना बड़ी चुनौती होती है। किसान ने खेत में सोलर फेंसिंग लगाए हुए हैं। इसमें बंदर व जगली जानवर नहीं आ पाते। इस तार में झुनझुनाहट व हलका झटका लगता है जिससे वे डरकर भाग जाते हैं और फसल सुरक्षित रहती है।

हार्वेस्टर ने जोड़ा उन्नत खेती से
किसान ओपी मिश्रा ने बताया कि हर साल धान-गेहूं का उत्पादन ले रहे थे। वाजिब आमदनी नहीं हो रही थी। पतंजलि से कृषि का तरीका सीखकर आए हैं और अब जैविक कृषि को बढ़ावा देने आगे बढ़ रहे हैं। किसान ने बताया कि 4 वर्ष पहले रायपुर गए थे हार्वेस्टर लेकर वहां पर ग्राफ्टेड बैगन की खेती देखी। वहां के किसानों से उसको समझा और फिर यहां आकर खेती शुरू की है। खेत में शिमला मिर्च, टमाटर के साथ अन्य उद्यानिकी फसलें लगाए हुए हैं।

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