यह है मुनाफे का गणित
किसान के अनुसार इसमें ड्रिप और मल्चिंग पद्धति का भी उपयोग किया गया, जिससे न सिर्फ खरपतवार से मुक्ति मिली है बल्कि समय-समय पर सीधे पौधे को पानी और उर्वरा शक्ति प्लांट के माध्यम से मिल रही है। खास बात यह है कि बैगन का पौधा दो से ढाई साल तक रहेगा। इसकी ऊंचाई चार से पांच फीट की होगी। अभी ढाई फीट हो गया है। दो साल तक एक बैगन के पौधे में 40 किलोग्राम बैगन का उत्पादन होगा। अभी फू्रटिंग शुरू हो गई है। एक एकड़ में किसान को 80 से 100 टन उत्पादन होता है। इसमें किसान को औसतन सात से आठ लाख रुपये की फल होगी। दो से तीन लाख रुपये लागत काटकर सीधे-सीधे 4 से 5 लाख रुपये की एक एकड़ से आमदनी होगी।
बिजली का नहीं है झंझट
खास बात यह है कि किसान को बिजली का झंझट नहीं हैं। बिजली के अभाव में सिंचाई प्रभावित न हो इसके चलते ओपी मिश्रा ने खेत में तीन एचपी का सोलर पंप भी लगाए हुए हैं। ढाई से तीन एकड़ खेत में सोलर पंप से ही सिंचाई करते हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में इसी पंप का सहारा लेते हैं। पानी के साथ बिजली भी पंप से जला रहे हैं।
सोलर फेंसिंग से फसल की सुरक्षा
ग्रामीण क्षेत्र में जंगली शूकर, बंदरों सहित अन्य जानवरों का आतंक रहता है। ऐसे में फसल को बचाना बड़ी चुनौती होती है। किसान ने खेत में सोलर फेंसिंग लगाए हुए हैं। इसमें बंदर व जगली जानवर नहीं आ पाते। इस तार में झुनझुनाहट व हलका झटका लगता है जिससे वे डरकर भाग जाते हैं और फसल सुरक्षित रहती है।
हार्वेस्टर ने जोड़ा उन्नत खेती से
किसान ओपी मिश्रा ने बताया कि हर साल धान-गेहूं का उत्पादन ले रहे थे। वाजिब आमदनी नहीं हो रही थी। पतंजलि से कृषि का तरीका सीखकर आए हैं और अब जैविक कृषि को बढ़ावा देने आगे बढ़ रहे हैं। किसान ने बताया कि 4 वर्ष पहले रायपुर गए थे हार्वेस्टर लेकर वहां पर ग्राफ्टेड बैगन की खेती देखी। वहां के किसानों से उसको समझा और फिर यहां आकर खेती शुरू की है। खेत में शिमला मिर्च, टमाटर के साथ अन्य उद्यानिकी फसलें लगाए हुए हैं।