11 फीसदी ज्याया फलदायी दीपावली
पंडित बलराम तिवारी ने बताया कि दिवाली पर अमावस्या तिथि 3 बजकर 32 मिनट तक है। प्रतिपदा स्वाति नक्षत्र 7 बजकर 31 मिनट के बरइ विशाखा नक्षत्र और आयुष्मान योग 5 बजकर 57 मिनट तक हैं। फिर सौभग्य योग और बुधवार के शुभ संयोग से बना धैर्य लक्ष्मी योग फलदायी है। पंडित बलराम तिवारी कहते हैं इस योग में महालक्ष्मी विशेष कृपा बरसाएंगी। लक्ष्मी का पूजन 11 गुना अधिक फलदायी होगा। गणपति, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा से भी लाभ होगा। गुरू और बुध एकसाथ होने से धैर्य लक्ष्मी योग बन रहा है। इस बार शुक्र और चंद्रमा तुला राशि में है जो भी शुभ है। वृच्छिक का गुरू, कर्क, में राहु, मकर में केतु और बुधवार होने से बुद्धा तिथि का योग बन रहा।
करें मां काली का पूजन
ज्योतिषाचार्य पंडित बलराम तिवारी ने बताया कि अमावस्या तिथि छह नवंबर को रात्रि 10.07 बजे लग रही है जो अगले दिन रात्रि 9.19 बजे तक रहेगी। दीपावली के दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है। इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य कर सकते हैं। मां महालक्ष्मी का पूजन करने से पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। बलराम तिवारी के मुताबिक दीपावली के दिन सायं काल देव मंदिरों में दीपदान तो रात्रि के अंतिम प्रहर में दरिद्रा निस्तारण होगा। दीपावली के दिन श्रीस्रोत्रम, कनकधारा स्रोत्रम, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी मंत्र आदि का पाठ-जप करना चाहिए।
इस समय करें पूजन
दीपावली का पूजन का प्रमुख काल प्रदोष काल माना जाता है। इसमें स्थिर लग्न की प्रधानता मानी जाती है। अतः दीपावली पूजन का मुहूर्त सात नवंबर को स्थिर लग्न वृषभ शाम 6.03 से रात 8 बजे तक उत्तम रहेगा। इसके पहले भी पूजन किया जा सकता है। स्थिर लग्न कुंभ दोपहर में 1.27 बजे से 2.58 बजे तक शुभ रहेगा। हालांकि इस बार स्थिर लग्न सिंह अमावस्या में नहीं मिल रहा है, अतः हर सनातनी को रात्रि 9.19 से पूर्व पूजन अवश्य करना चाहिए। पंडित बलराम तिवारी कहते हैं कि दिवाली के दिन इमली की टहनी काटकर तिजारी में रखने से सालभर पैसे की कमी नही रहती।