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कानपुर

जहां दिखाया था सपना हाईटेक सिटी का, वहां लहलहा रही हैं हरी-भरी फसलें

11 दिसंबर 2014 को गंगा बैराज के पास ट्रांस गंगा सिटी की नींव रखी गई थी. इसे हाईटेक सिटी का तमगा भी दिया गया. सपने दिखाए गए कि इसे 5 साल में प्रदेश की सबसे हाईटेक सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन वक्त के साथ दिखाए गए सभी सपने टूट गए.

कानपुरDec 14, 2018 / 01:33 pm

आलोक पाण्डेय

Kanpur

जहां दिखाया था सपना हाईटेक सिटी का, वहां लहलहा रही हैं हरी-भरी फसलें

कानपुर। 11 दिसंबर 2014 को गंगा बैराज के पास ट्रांस गंगा सिटी की नींव रखी गई थी. इसे हाईटेक सिटी का तमगा भी दिया गया. सपने दिखाए गए कि इसे 5 साल में प्रदेश की सबसे हाईटेक सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन वक्त के साथ दिखाए गए सभी सपने टूट गए. तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने लोगों को बड़े सपने दिखाए थे, लेकिन ये ख्वाब हकीकत नहीं बन सके. योजना का महिमा मंडन इस कदर किया गया कि 18 लोगों ने उद्योग लगाने और 1783 लोगों ने मकान बनाने के लिए प्लॉट ले लिए. इसके बावजूद मौजूदा हालात यह हैं कि यहां फसलें फिर से लहलहाने लगी हैं. विकास की लहर थमने के बाद किसानों ने यहां फिर से कब्जा करके खेती करना शुरू कर दिया है.

लहलहा रही है गेहूं, मटर, सरसों की फसल
हाईटेक सिटी में गेहूं, मटर, सरसों की फसल लहलहा रही है. किसानों ने फसलों की सिंचाई के लिए पंपिंग सेट लगा लिया है. दिसंबर 2016 में विकास कार्यों में लगे ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया था. इसकी वजह थी विकास कार्यों में हुई अनियमितता की जांच. यूपीएसआईडीसी (अब यूपीसीडा) के दबाव के बाद कुछ ठेकेदार काम करने आए थे, लेकिन तभी किसानों का आंदोलन शुरू हो गया. किसानों ने ठेकेदारों को काम करने से रोक दिया. किसान अब सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा मांग रहे हैं. वहीं किसानों को हटाने की कोई प्रभावी कोशिश नहीं हो सकी है.

दिसंबर 2017 तक का था समय
आवासीय भूखंड लेने वाले लोगों को मार्च 2017 तक भूखंड पर कब्जा देना था. तब तक आवासीय क्षेत्र में विकास कार्य पूरे होने थे, लेकिन अभी तक ये कार्य पूरे नहीं हुए. इसी तरह औद्योगिक भूखंड लेने वाले 18 उद्यमियों को दिसंबर 2017 तक कब्जा देना था, लेकिन अब तक नहीं दिया जा सका है. विकास न होने की वजह से ही 750 लोगों ने आवासीय भूखंड सरेंडर कर दिया और रुपए वापस ले लिए.

थी एक और योजना
हाईटेक सिटी के बगल में एक और हाईटेक सिटी बसाने की योजना थी. इसके लिए 1700 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना था. प्रबंधन देवाराकला, पिंडोखा, बनी, मुस्तफापुर गैर एहमतमाली और पिपरी गांव में यह सिटी बसाने की तैयारी थी. लेकिन अब यह सबकुछ ठंडे बस्ते में जा चुका है. अब इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है.

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