डॉक्टरों ने बताया कि शरीर के प्रमुख तीन अंग हार्ट, किडनी और लिवर हैं। इनमें से किसी एक में भी खराबी जीवन कठिन बना देती है और इनमें एक भी अगर फेल होता है तो उसके ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। इसलिए यह जरूरी है कि इन अंगों से जुड़ी बीमारी को गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले ही सही किया जा सके। जिससे स्थिति फेल्योर होने तक न पहुंचे।
विशेषज्ञों ने बताया कि इन अंगों से जुड़ी मौजूदा जांचें सटीक जानकारी नहीं देती हैं। अगर प्रोटीन की जांच बार-बार पॉजिटिव आ रही है तो कोशिकाओं की जांच करके बताया जा सकता है कि गुर्दा फेल होने की दिशा में है। जबकि खून और यूरीन की जो भी जांचें हैं उनमें भी सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि बीमारी है या नहीं। सटीक जानकारी के लिए नई खोज जरूरी है।
आईआईटी में बायोलॉजिकल साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग में कोशिकाओं की जांच से विशेषज्ञ को बीमारी तक पहुंचने में काफी मदद मिलेगी। कोशिकाओं में हो रहे जेनेटिक बदलाव से डायगनोसिस तैयार की जाएगी। अभी तक छह मरीजों की बायोप्सी कराई जा चुकी है जो गुर्दे की बीमारी से पीडि़त थे।
आईआईटी में चल रही रिसर्च में कार्डियोलॉजी और एम्स के अलावा कई अस्पतालों के विशेषज्ञ भी सहयोग के लिए जुड़े हैं। इस सेंटर पर सभी अस्पतालों से जुड़े अनुभवों के आधार पर रिसर्च को आगे बढ़ाया जा रहा है।