रहस्य और रोमांच से भरी है गुफा लम्बी कतार में प्रतीक्षा के बाद जब भक्त मानवनिर्मित गुफा के अन्दर पहुंचते है तो उन्हें रहस्य और रोमांच के साथ – साथ अनोखे भक्ति भाव का अहसास होता है । कभी उन्हें घुटनों के बल चलकर आगे बढ़ना होता है तो कभी झर-झर बहते कृत्रिम झरने से होकर गुजरना होता । गुफा के हर मोड़ पर देवी देवताओं की प्रतिमाओं के दर्शन होते है । सबसे ज्यादा रोमांचक अनुभव होता है सहस्त्रबाहु यानि एक हजार हाथ वाली देवी प्रतिमा के दर्शन करना । इस गुफा मन्दिर के दर्शन करने के लिये नब्बे साल की वृद्धा सुनीता शर्मा के साथ दिब्यांग भी मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भक्त सुनीता शर्मा ने बताया कि जिन्हें कभी वैष्णों देवी के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला हो , वे इस गुफा मन्दिर में आ जाए तो फिर माता उन्हें जल्दी ही जम्मू भी बुला लेती हैं।
चुनरी अर्पण करने से प्रसन्न हो जाती हैं मां मंदिर के पुजारी महंत रामजी ने बताया कि कोई भक्त मातारानी के दरबार में आकर चुनरी से तीन गांठ लगाए तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। मन्नत पूरी हो जाने पर भक्त यहां आकर गांठ खोलते हैं। पुजारी के मुताबिक मंदिर में दो बार आरती की जाती है, जिसमें बहुत कम लोग ही भाग ले पाते हैं। पुजारी ने बताया कि गुफा को प्राकृतिक रूप दिए गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसी अनुभूति होती है, मानों कि देवी मां साक्षात दर्शन दे रही हों। मंदिर में 1000 हाथ वाली देवी मां की विशेष मूर्ति के अलावा सभी पुराणों का सार भी यहां मौजूद है। जो गरीब लोग जम्मू नहीं जा सकते वो यहां आकर उसी तरह का आनंद प्राप्त करते हैं जैसा जम्मू में मिलता था।