अमृतम् जलम् : पांच नदियां जिन्हें निगल गया कानपुर
गंगा और यमुना नदी की निर्मलता पर नेता बात तो खूब करते हैं, पर अपने अस्तित्व बचाने को जूझ रही पांडु, रिंद, नून, ईशन और अटक नदी पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। कभी लोगों की प्यास बुझाने वाली इन नदियों को कानपुर निगल गया है।
विनोद निगम
कानपुर. इस समय कानपुर मंडल के साथ ही बुंदेलखंड में पानी को लेकर गदर छिड़ी हुई है। कहीं पानी को लेकर धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं तो कहीं पानी के लिए सरकारी बाबू पीटे जा रहे हैं। वहीं नेता मटके फोड़ कर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं, लेकिन पानी की समस्या क्यों उत्पन्न हुई इस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। नेता ट्रेन से पानी भेजते हैं तो विरोधी ट्रेन को ब्रेक लगा रहे हैं। गंगा और यमुना नदी की निर्मलता पर नेता बात तो खूब करते हैं, पर अपने अस्तित्व बचाने को जूझ रही पांडु, रिंद, नून, ईशन और अटक नदी पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
कभी लोगों की प्यास बुझाने वाली इन नदियों को कानपुर निगल गया है। कभी ये नदियां सिंचाई का मुख्य साधन भी हुआ करती थीं पर आज सूखी हुई हैं। औरैया जिले के बिधूना तहसील के एक गांव स्थित झील से निकली पांडु नदी कन्नौज होते हुए कानपुर से फतेहपुर पहुंचकर गंगा में समाप्त होती है। हालत यह है कि इस नदी में अब एक बूंद पानी नहीं है। नदी गंगा के प्रदूषण का कारण अवश्य बन गई है। कानपुर के दक्षिण इलाके का करोड़ों लीटर सीवर लेकर यह गंगा में उड़ेलती है और खुद के अस्तित्व को समाप्त कर देती है। इसमें सिर्फ घरेलू कचरा ही नहीं जाता है बल्कि पनकी और दादानगर औद्योगिक क्षेत्र का लाखों लीटर केमिकलयुक्त पानी भी गिरता है।
ईशन नदी आज खेत पर तब्दील हुई
ईशन नदी का उद्गम अलीगढ़ है। यह नदी मैनपुरी, कन्नौज होते हुए कानपुर में बिल्हौर के पास गंगा नदी में मिल जाती है। बिल्हौर के पास नदी की तलहटी पर खेती हो रही है। इसी तरह फिरोजाबाद से निकली रिंद नदी की हालत भी खराब है। फतेहपुर में यमुना में गिरने वाली इस नदी की तलहटी पर भी खेती हो रही है। यही स्थिति नून नदी की है। बिठूर के पास गंगा में गिरने वाली इस नदी में पानी के बजाय बिठूर के पास सीवर भरा हुआ है जो बीमारियों का कारण बन रहा है। बिल्हौर के धौरसलार गांव के पास एक झील से निकली अटक नदी का अस्तित्व तो पूरी तरह से मिट गया है। इस पर भी खेती हो रही है।
फिर से नदियों में दिखेगा निर्मल जल
कानपुर के भाजपा नेता व बुन्देलखण्ड जल प्रकोष्ठ प्रभारी बृजेश तिवारी ने कहा कि वह जल्द ही गुम हो रही कानपुर की इन नदियों के बारे में कैबिनेट मंत्री उमा भारती से मिलेंगे। बताया, जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते पांडु नदी अपने अस्तित्व को लेकर जद्दोजहद कर रही है। भाजपा जल्द ही पांडु नदी के अलावा अन्य चार नदियों को जलमय करने के लिए अभियान चलाएगी। केंद्र सरकार से इसके लिए मदद मांगी जाएगी। वहीं कल्याणपुर विधानसभा के विधायक सतीश निगम का कहना है कि लोगों ने नदियों पर अतिक्रमण कर लिया है। इस मामले पर जल्द ही प्रशासन से बात की जाएगी और गुम हो रही नदियों में निर्मल जल की धारा बहेगी। वहीं इस संबंध में डीएम कौशल राज शर्मा का कहना है कि नदियों पर अतिक्रमण चिह्नित कर हटाएंगे। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी।
Hindi News / Kanpur / अमृतम् जलम् : पांच नदियां जिन्हें निगल गया कानपुर