ये भी पढ़ें- UP TOP NEWS: 17 IAS व 2 PCS अफसरों के किए तबादले, यह बने लखनऊ के कमिश्नर लखनऊ में सर्वाधिक 9711 एक्टिव केस हैं तो वहीं कानपुर में 4671 सक्रिय मामले हैं। इस हिसाब कानपुर में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर 2.65 प्रतिशत है जबकि लखनऊ में दर 1.31 प्रतिशत है। मृत्युदर के हिसाब से ही कानपुर के बाद मेरठ दूसरे स्थान पर है जहां कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्युदर 2.63 प्रतिशत है। 15 सितंबर तक तक वहां 184 लोगों की मौत हुई है। कानपुर में ऐसी स्थिति का मुख्य कारण डॉक्टरों का ड्यूटी पर न आना व मरीजों का समय से इलाज न मिलना बताया जा रहा है। संक्रमित मरीज तड़पकर मर रहे हैं। इसका खुलासा खुद सीएमएस डॉ. दिनेश सचान ने की है। वहीं नए केस आने का सिलसिला जारी है। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
ये भी पढ़ें- अंतिम संस्कार के लिए 5000 व इलाज के लिए मिलेंगे 1000 रुपए, सीएम योगी ने किया ऐलान डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आ रहे-छह सितंबर को ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम के सामने सीएमएस डॉ. दिनेश सचान ने डॉक्टरों की सारी पोल-पट्टी खोलकर रख दी। उन्होंने कहा कि लेवल-2 अस्पताल कांशीराम ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ड्यूटी पर नहीं आते। वे भाग जा रहे हैं और मरीजों को नहीं देख रहे। कई मरीजों की मौत तो ऑक्सिजन पाइप हटने से हो गई। इस कारण यहां मृतकों की संख्या बढ़ी है। सीएमएस ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में 3 और 5 सितंबर को सबसे ज्यादा 5-5 मौतें हुईं। इस पर डीएम ने एक जांच टीम भी गठित की थी।
ज्यादातर कोरोना मरीज अन्य बीमारियों से ग्रसित-
कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध लाला लाजपत राय चिकित्सालय में कोरोना वायरस के सबसे गंभीर मरीज़ों के लिए एल-3 स्तर का 200 बेड का अलग अस्पताल तैयार किया गया है। इसमें 100 बेड क्रिटिकल केयर के लिए रखे गए हैं। जिले में सबसे ज्यादा मौतें भी इसी अस्पताल में हो रही हैं। अस्पताल के न्यूरो साइंस सेंटर में बने कोविड आईसीयू के सुपरिटेंडेंट प्रो. प्रेम सिंह का कहना हैं कि कोरोना वायरस के गंभीर मरीज यहां आ रहे हैं और जिन मरीज़ों की मौत हुई है, उनमें ज़्यादातर को पहले से ही किडनी, लीवर, हार्ट से संबंधित बीमारियां, डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर जैसी शिकायत थी।
ये भी पढ़ें- सब्जियों में लगी आग, आलू-प्याज के बाद अब टमाटर भी हुआ लाल, सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला शासन से की है मांग- शासन से रेमडेसिवीर इंजेक्शन मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन किडनी, लीवर और हार्ट के पेशेंट्स को यह दवा नहीं दी जाती। ऐसे में मौतें ज़्यादा हैं। वहीं प्रेम सिंह ने टॉक्सीजुमैव ड्रग समेत कुछ नई दवाओं की कमी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इनका लखनऊ में तो इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन कानपुर में कोरोना मरीज़ों को अभी यह ड्रग नहीं मिल पा रही है। शासन से मांग की गई है, अगर यह दवा हमें मुहैया हो जाती है तो हम ज़्यादा गंभीर मरीज़ों को बचा सकते हैं।
समय पर नहीं मिल रहा इलाज-
कानपुर में तैनात स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. आरपी यादव का कहना है कि यूपी में कोरोना वायरस से मृत्यु दर 1.5 प्रतिशत के क़रीब है, लेकिन कानपुर में शनिवार तक मृत्यु दर 2.65 प्रतिशत रही। ज़्यादातर मृत्यु लाला लाजपत राय चिकित्सालय व कांशीराम चिकित्सालय में हो रही हैं। ज्यादातर मामलों में यह देखा गया कि मरीज़ के भर्ती होने के तीन दिनों के अंदर ही उसकी मौत हो गयी। मतलब साफ है कि कोरोना संक्रमित समय पर अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं। इसकी जांच भी की जा रही है।
सरकार की यह है तैयारी- टीम-11 संग बैठक मेे लखनऊ, कानपुर व प्रयागराज को लेकर सीएम योगी लगातार चिंता जता रहे हैं। सरकार की तैयारियों को देखें तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अलावा दो प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को भी ज़िला प्रशासन ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अधिग्रहित किया है। दावा है कि सरकारी और प्राइवेट में मिलाकर कुल 21 अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों के इलाज की व्यवस्था है। इनमें कुल 2883 बेड हैं। क्रिटिकल पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए एल-2 और एल-3 अस्पतालों में बेडों की कुल संख्या 1390 ही है, लेकिन इन सभी अस्पतालों को मिलाकर कानपुर में कुल वेंटीलेटर्स की संख्या महज़ 120 ही है।