सूअरों के आतंक से बेचैन हो रहा है यह शहर
कानपुर – शहर में सुअरों का आतंक इस कदर पैर पसार रहा है कि लोगो ने इसके खिलाफ खुद ही अभियान छेड़ने का बीड़ा उठाया है। शहर का ऐसा कोई भी चौराहा और सड़क नहीं बची है जिसमें गुजरने पर लोगो को सुअर की धमाचौकडी से दो चार न होना पड़े। हलांकि खुले आम सुअर का व्यवसाय करने वाले लोगो के आपराधिक इतिहास को देखते हुए नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी इस मुसीबत से निजात दिलाने की स्थित में नहीं है। तो क्षेत्रीय लोगो ने पहल करके खुद नगर निगम का काम करने की ठानी है और इसी तरह के अभियान के तहत जाजमऊ के इलाके में क्षेत्रीय लोगो ने सभासद के साथ मिलकर सुअर को पकड़ने का बीड़ा उठाया है। हलांकि विभाग से काफी शिकायत और पत्र लिखने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो लोगो को सुअरों के खिलाफ खुद ही अभियान चलाने को मजबूर होना पड़ा है। हलांकि क्षेत्र के लोगो को यह भी डर सताता है कि कही इनको पालने वाले उनके सामने कोई मुसीबत न खड़ी कर दे।
सड़क पर दुर्घटना की बड़ी वजह है ये सुअर
कानपुर के श्याम नगर के रहने वाले नरेन्द्र सिहं पिछले दो हफ्तों से चारपाई पर लेटे हुए है और उनको इस स्थित में पहुचाने के लिए कोई और नहीं बल्की शहर की गलियों में आवारा और बे-रोक टोक के घूमने वाले सुअर है। रोज की तरह वो एक प्राइवेट नौकरी में काम निपटाने के बाद घर की तरफ आ रहे थे कि चकेरी थाना क्षेत्र के गंगा गंज के पास उनकी गाड़ी एक वापस भागते सुअर से टकरा गयी।
हलांकि वहां खड़े लोगो के अनुसार सुअर को इस टक्कर से जरा सी भी खरोच नहीं लगी और वो आवाज करते हुए वहां से चला गया लेकिन नरेन्द्र सिंह के बाये पैर में डाक्टर ने हेअर लाइन फैक्चर बता कर कम से कम 6 सप्ताफ का बेड रेस्ट जरूर बता दिया। इस तरह के तमाम हादसे कानपुर के लोगो के सामने पेश आते रहते है लेकिन नगर निगम और पशुओं को पकड़ने वाले दूसरे विभाग के कानो में कभी जू तक नहीं रेंगती है।
महिलाएं भी घर के बाहर आते ही होती है शिकार
वैसे तो महिलाओ के हित के लिए काफी और कई तरीके से बातो का दोर सुनते जरूर देखा गया है लेकिन हकीकत में दूसरे सुख और सुविधाओं की बात छोड़िये महिलाए शहर के सुअरो के आतंक से भी अछूती नहीं रह गयी है। शहर में सामान लेने निकलने वाली महिलाएं घर के बाहर जाते समय और लोट कर सही सुरक्षित आने पर ऊपरवाले का नाम जरूर लेती है।
शिवाला कानपुर में रहने वाली शबीना की माने तो यदि घर के बाहर खाने का सामान लेने निकलो तो आवारा सुअर आपको चैन से चलने नहीं देंगे। शबीना खुद सुअरों के आतंक की भुक्त भोगी है औऱ इसकी कई बार शिकायत नगर निगम में कर चुकी है लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी।
सुअर पालकों में कई शातिर अपराधी
सुअर का कारोबार कानपुर शहर में बिना लागत के फल फूल रहा है और इसका खामियाजा शहर की जनता को उठाना पड़ रहा है। शहर के अन्दर सुअर पालने का कारोबार ऐसे लोगो के हाथ में है जिनसे कुछ बोलने की क्षमता शहर के बड़े अधिकारियो में नही है।
कई करोबारी सुअर के काम को केवल दिखावे के लिए करते है। हलांकि उनका दूसरा और मुख्य काम जरायम और ड्रग से जुडा है और ऐसे में शहर के लोग कोई ऐतराज करते है तो उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। नगर निगम के एक अधिकारी बताते है कि कई बार सुअर पकड़ने का अभियान चलाने की कोशिश की गयी लेकिन सुअर पालको की दबंगई और आतंक के चलते इस काम में कभी सफलता हाथ नहीं लग सकी और शहर जिसे लोगो के रहने के लिए बसाया गया है उसमें सबसे बड़ा आतंक सुअरों का हो गया है।
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