ईडी के रूप में आई चौथी एजेंसी डीजीजीआई, डीआरआई और आयकर विभाग के बाद मंगलवार को इस केस में ईडी की इंट्री हुई है ताकि पीयूष दांव चलकर जेल से बाहर न आ सके। हालांकि ईडी ने भी एफआईआर का आधार डीजीजीआई और डीआरआई की एफआईआर को बनाया है। डीआरआई के बाद ईडी ही एसी एजेंसी है जो मनी लांड्रिंग एक्ट के जरिए पीयूष को रिमांड में ले सकती है और जेल से बाहर निकलने की चाल की काट कर सकती है। इस केस से जुड़े एक्सपर्ट्स के मुताबिक डीआरआई के फेल होने के बाद एन वक्त पर ईडी को लाने की मुख्य वजह यही है।
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साहब! पत्नी को मायके से मनाकर लाने के लिए… लिपिक ने लिखा ऐसा पत्र कि हो गया वायरल डीआरआई का दांव फेल पीयूष शिकंजे से छूट न जाए इसलिए राजस्व खुफिया निदेशालय यानी डीआरआई ने पीयूष के घर से बरामद सोने के बिस्किट में लगी विदेशी मुहर को आधार बनाया और तस्करी के आरोप में एफआईआर दर्ज कर रिमांड पर भी लिया। लेकिन ये दांव भी फेल हो गया क्योंकि तस्करी के लिए विदेश जाना जरूरी है। पीयूष सहित पूरे परिवार का पासपोर्ट ही नहीं बना है। अवैध रूट से विदेश जाने की बात डीआरआई कोर्ट में साबित नहीं कर पाई । जेल में रहने के सबसे मजबूत आधार की नींव ही कमजोर निकल गई और पीयूष को इस केस में जमानत मिल गई।
आयकर विभाग भी कर रहा जांच इस केस की फाइल डीजीजीआई ने औपचारिक रूप से आयकर विभाग को करीब दो महीने पहले सौंप दी थी। आयकर नियमों के मुताबिक पीयूष से अधिक से अधिक टैक्स और पेनाल्टी ली जा सकती है। केेवल कालेधन के आधार पर उसे जेल पर लंबे समय तक रखना बेहद मुश्किल है।