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कानपुर

पीयूष जैन पर डीआरआई का दांव हुआ  फेल तो चौथी एजेंसी ईडी ने कसा शिकंजा, एफआईआर दर्ज

ED Case on Piyush Jain: कानपुर इत्र कारोबारी पियूष जैन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। जब तीन एजेंसियों को कुछ नहीं मिला तो ईडी ने एफआईआर दर्ज करा दी।

कानपुरAug 03, 2022 / 12:35 pm

Snigdha Singh

 DRI note get any Proof Against Piyush Jain fourth agency ED registered FIR

DRI note get any Proof Against Piyush Jain fourth agency ED registered FIR

कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से बेनामी 197 करोड़ रुपए कैश, 23 किलो सोना और 6 करोड़ का चंदन इत्र बरामद होने के बावजूद उसके खिलाफ टैक्स चोरी के अलावा अन्य कोई ठोस सबूत नहीं मिला। सबूत जुटा पाने में विफल जांच एजेंसियों ने ईडी के रूप में अंतिम अस्त्र आखिर चला ही दिया। मनी लांड्रिंग एक्ट में पीयूष जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। अब जल्द ईडी अफसर कानपुर और कन्नौज में छापेमारी की तैयारी में हैं। 24 दिसंबर को पीयूष जैन के आनंदपुरी और कन्नौज में डीजीजीआई ने छापे मारकर देश की सबसे बड़ी कैश बरामदगियों में अपना नाम दर्ज कराया था। दो दिन लापता रहने के बाद पीयूष डीजीजीआई अफसरों के सामने पेश हुआ, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पीयूष ने 197 करोड़ कैश और 23 किलो सोने को टैक्स चोरी की रकम स्वीकार किया था और 31.5 करोड़ टैक्स व पेनाल्टी चुकाने का लिखित आफर भी दे दिया था। डीजीजीआई टीम भी पीयूष के खिलाफ टैक्स चोरी से ज्यादा अन्य कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।
ईडी के रूप में आई चौथी एजेंसी

डीजीजीआई, डीआरआई और आयकर विभाग के बाद मंगलवार को इस केस में ईडी की इंट्री हुई है ताकि पीयूष दांव चलकर जेल से बाहर न आ सके। हालांकि ईडी ने भी एफआईआर का आधार डीजीजीआई और डीआरआई की एफआईआर को बनाया है। डीआरआई के बाद ईडी ही एसी एजेंसी है जो मनी लांड्रिंग एक्ट के जरिए पीयूष को रिमांड में ले सकती है और जेल से बाहर निकलने की चाल की काट कर सकती है। इस केस से जुड़े एक्सपर्ट्स के मुताबिक डीआरआई के फेल होने के बाद एन वक्त पर ईडी को लाने की मुख्य वजह यही है।
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डीआरआई का दांव फेल

पीयूष शिकंजे से छूट न जाए इसलिए राजस्व खुफिया निदेशालय यानी डीआरआई ने पीयूष के घर से बरामद सोने के बिस्किट में लगी विदेशी मुहर को आधार बनाया और तस्करी के आरोप में एफआईआर दर्ज कर रिमांड पर भी लिया। लेकिन ये दांव भी फेल हो गया क्योंकि तस्करी के लिए विदेश जाना जरूरी है। पीयूष सहित पूरे परिवार का पासपोर्ट ही नहीं बना है। अवैध रूट से विदेश जाने की बात डीआरआई कोर्ट में साबित नहीं कर पाई । जेल में रहने के सबसे मजबूत आधार की नींव ही कमजोर निकल गई और पीयूष को इस केस में जमानत मिल गई।
आयकर विभाग भी कर रहा जांच

इस केस की फाइल डीजीजीआई ने औपचारिक रूप से आयकर विभाग को करीब दो महीने पहले सौंप दी थी। आयकर नियमों के मुताबिक पीयूष से अधिक से अधिक टैक्स और पेनाल्टी ली जा सकती है। केेवल कालेधन के आधार पर उसे जेल पर लंबे समय तक रखना बेहद मुश्किल है।

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