डिफाल्टर घोषित श्रीलक्ष्मी कॉटसिन के अधिग्रहण के लिए पहले दो विदेश की कंपनियों से बात हुई, लेकिन उनके मना करने के बाद महाराष्ट्र की नामी कंपनी वेलस्पन ने रुचि जताई। मगर यहां भी बात नहीं बनी। कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के बाद श्रीलक्ष्मी कॉटसिन तीसरी कंपनी है, लेकिन रकम के डिफॉल्ट के मामले में सबसे बड़ी कंपनी है। श्रीलक्ष्मी कॉटसिन कंपनी की नींव कानपुर में 1993 में रखी गई। शुरुआत में बुलेटप्रूफ जैकेट्स के अलावा कई प्रतिरक्षा उत्पाद बनाए और फिर ब्लास्टप्रूफ वाहन बनाए।
इसके बाद 2005-06 में कंपनी ने डेनिम कपड़े के उत्पादन की तरफ रुख अपनाया। इसके लिए बैंकों से करीब 85 करोड़ रुपए का लोन लिया गया। जब काम सफल रहा तो रुड़की और हरियाणा में भी यूनिटें लगाई गईं। 2006 में कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी कर दी। 2010 में टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादन के लिए सेंट्रल बैंक से 693 करोड़ रुपए, इक्विटी बाजार से 200 करोड़ और अपनी तरफ से 100 करोड़ रुपए के निवेश का खाका तैयार किया।