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कांकेर

अनोखी बारात… न घोड़ा न गाड़ी 11 बैलगाड़ी से दूल्हा पहुंचा ससुराल, काफिले को देख लोग हुए हैरान

CG procession in bullock carts: आधुनिकता की इस चकाचौंध के बीच पिपली गांव से गुरुवार को बैलगाड़ी से अपनी दुल्हनिया लेने दूल्हा गाजे बाजे के साथ बारात लेकर निकला तो गांव में देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई।

कांकेरJun 09, 2023 / 06:12 pm

Khyati Parihar

The groom arrived with a procession in 11 bullock carts

न घोड़ा न गाड़ी 11 बैलगाड़ी से दूल्हा पहुंचा ससुराल,

Barat In bullock Carts: बड़गांव। आधुनिकता की इस चकाचौंध के बीच पिपली गांव से गुरुवार को बैलगाड़ी से अपनी दुल्हनिया लेने दूल्हा गाजे बाजे के साथ बारात लेकर निकला तो गांव में देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। इ
स तरह की बैलगाड़ी से अनोखी बारात क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी है। बारात में एक भी मोटर कार को शामिल नहीं किया गया। दूल्हा भी बैैलगाड़ी से और बाराती भी बैलगाड़ी से चले तो यह नजारा देखते ही बन रहा था। यह बारात पुरानी परम्परा को एक बार फिर गांव में जीवित कर दिया।
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बारात में निकली 12 बैलगाड़ियां

गोंड़वाना समाज के युवा अध्यक्ष शंभुनाथ सलाम अपनी शादी में पुरानी परम्पराओं का पालन करते हुए बैलगाड़ी से बारात लेकर गए। दूल्हा बैलगाड़ी से अपनी दुल्हनिया लेने निकला तो हर कोई उसी को निहार रहा था। पुरानी परम्परा के साथ अपनी शादी करने (kanker news) जा रहे दूल्हा ने कहा कि यह ख्याल काफी दिनों से उसके मन में चल रहा था। समाज की ओर से बार-बार अपनी पुरानी संस्कृति का पालन करने के लिए कहा जा रहा था।
उसने कहा कि देसी अंदाज में निकली इस बारात में 12 बैलगाड़ियां हैं। किसी बैलगाड़ी का किराया भी नहीं देना है। आसपास के गांव के लोगों को इस तरह से बारात में चलने के निमंत्रण दिया तो हंसी खुशी सभी लोग तैयार हो गए। किराए लेने से इनकार कर दिया। सभी ने यही कहा, हमारी पुरानी परम्परा जीवित हो रही इससे ज्यादा हमें खुशी नहीं चाहिए।
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समाज ने निभाया पुरानी संस्कृती

दूल्हा शंभनाथ ने कहा कि गुरुवार को सुबह ही बारात करकापाल गांव जाने के लिए निकल गई है। बड़गांव गाधी चौक में दोपहर बाद बारात पहुंची थी। सामाजिक परम्पराओं के साथ सजे-धजे बाराती जा रहे थे। दूल्हे की बैलगाड़ी को विशेष रूप से सजाया गया था। साथ ही अन्य बैलगाड़ियों पर परिवार शादी समारोह का सामान लेकर बैठे थे। आगे-आगे चल रहे डीजे पर बाराती आदिवासी गीतों पर युवा झूम रहे थे। युवा डीजे की थाप पर नाच गा रहे थे।
दूल्हा शंभुनाथ ने कहा कि आज भी आदिवासी समाज पुरानी संस्कृती, परंपरा को निभा रहा है। ताकि पुरानी परम्परा जीवित रहे इसलिए इस तरह बैलगाड़ियों से बारात लेकर जाने के लिए सभी लोगों को तैयार किया। शंभूनाथ ने कहा कि समाज में यह मिशाल है। धोती, कमीज, पहनकर बारात लेकर जा रहा हैं। उन्हें देखकर सामाजिक लोगों ने कहा कि इस (unique Marriage procession) शादी के माध्यम से आज कल के युवाओं को प्रेरणा लेते हुए संस्कृति को पुन: जीवित करने का प्रयास करना चाहिए।

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