CG News: शहर में बढ़ रही चोरी की घटनाएं
इन व्यापारियों के पास इस कारोबार से संबंधित कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं। अधिकांश कबाड़ चोरी का सामान होता है। इसे खुलेआम खरीदा-बेचा जाता है। कुछ समय पहले ही कबाड़ी व्यापारियों को चोरी के सामान खरीदते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके बावजूद चोरी का माल आसानी से बिकने के कारण चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं। यह कारोबार छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े स्तर तक फैल चुका है। इनमें से अधिकांश व्यापारियों का काम
रायपुर, भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव जैसे बड़े शहरों में होता है। पुलिस और प्रशासन का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। इससे इनका मनोबल और बढ़ गया है।
अवैध रूप से चल रही कबाड़ की दुकानें
संबलपुर रोड पर कई कबाड़ी दुकानें अवैध रूप से चल रही हैं। इनके पास न तो कोई लाइसेंस है। न ही जीएसटी नंबर। इन दुकानों में साइकिल, बाइक और अन्य चोरी के सामानों की खरीद-बिक्री होने की खबर है। यहां तक कि कबाड़ी सामान की खरीदी-बिक्री में छोटे-मोटे व्यापारी भी सक्रिय हो गए हैं। इनमें अधिकतर किशोर और नशे की लत से ग्रस्त लोग शामिल हैं। पुलिस द्वारा बार-बार समझाइश देने के बावजूद व्यापारियों ने काम बंद नहीं किया है। 5 कबाड़ी जिनका धंधा बड़े पैमाने पर फैला है…
CG News: नगर में कम से कम पांच बड़े कबाड़ी व्यापारी हैं, जिनका कारोबार बड़े पैमाने पर फैला है। इन व्यापारियों के पास न तो कोई लाइसेंस है। न जीएसटी, न ही इनकी दुकानें वैध रूप से रजिस्टर्ड हैं। फिर भी ये बड़े पैमाने पर कारोबार कर रहे हैं। इससे साफ है कि नगर में चलने वाले धंधों पर प्रशासन की नजर और कार्रवाई कितनी सख्त है।
इन पर ठोस कार्रवाई न होने से यह व्यवसाय और तेजी से बढ़ रहा है। चोरी का सामान आसानी से बिकने के कारण इलाके में चोरियां भी बढ़ी हैं। पुलिस और प्रशासन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इस
काले कारोबार को कुछ नेताओं का भी संरक्षण है। इसके चलते कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
व्यवसाय लाइसेंस: यह कबाड़ का धंधा शुरू करने और चलाने की अनुमति देता है। निगम या जिला उद्योग केंद्र जारी करता है।
जीएसटी पंजीकरण: सालाना कारोबार 40 लाख रुपए से ज्यादा है, तो अपना कारोबार जीएसटी के तहत रजिस्टर कराना होगा।
व्यापार लाइसेंस: यह इस बात का प्रमाण है कि कारोबार स्थानीय प्राधिकरण के स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण मानदंड मानता है।
पर्यावरण एनओसी: ये इस बात का सबूत है कि कारोबार राज्य व केंद्र सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का पालन करता है।
भानुप्रतापपुर, टीआई, रामेश्वर देशमुख: दस्तावेजों की जांच करेंगे। दस्तावेज न होने पर कार्रवाई की जाएगी।