गौरैया इंसानों के सबसे पुराने साथियों में से एक है। पक्षी विज्ञानी घरेलू गौरैया (पैसर डोमेस्टिकस) के पतन के कई कारण बताते हैं। इनमें आधुनिक इमारतों में घोंसले के स्थलों की कमी तथा घरों की पक्षी अमित्र वास्तुशिल्प डिजाइनिंग, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग और भोजन की अनुपलब्धता शामिल है। दुनिया भर में पक्षियों की आबादी में गिरावट के लिए शोर, वायु और जल प्रदूषण उत्तरदायी हैं।
world Sparrow day history गौरैया के संरक्षण के लिए 20 मार्च 2010 को विश्व गौरैया दिवस के रूप में घोषित किया गया था। इसके बाद से हर साल दुनिया भर में इसे मनाया जाता है। द नेचर फॉरएवर सोसायटी की स्थापना मोहम्मद दिलावर नाम के एक भारतीय संरक्षणवादी ने की थी, जिन्होंने घरेलू गौरैया के संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई वर्षों तक प्रयास किए।
क्या कहते हैं अध्ययन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर आईयूसीएन ने घटती आबादी के कारण 2002 में लुप्त प्रायः प्रजातियों की सूची में हाउस स्पैरो को शामिल किया। दिल्ली में गौरैया की आबादी की स्थिति का पता लगाने के लिए 2007 में एक विशेष अध्ययन शुरू किया गया था। दिल्ली सरकार ने 14 अगस्त 2012 को इसे राज्य पक्षी और शुभंकर घोषित किया। आंध्र विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में गौरैया की आबादी में 60 फीसदी से अधिक की कमी आई है।
इस बार यह है थीम विश्व गौरैया दिवस-2022 का विषय ‘आई लव स्पैरो’ रखा गया है। पिछले कई सालों से इस एक ही विषय पर इस दिन को मनाया जा रहा है। घरेलू गौरैया का घटना हमारे पर्यावरण के लगातार हो रहे क्षरण है। इसकी संख्या कम होने से जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
हम भी कर सकते हैं प्रयास – धान, ज्वार और बाजरा से भरे बर्ड फीडर उपलब्ध कराएं, हालांकि घर की गौरैया पानी के बजाय धूल में स्नान करती हैं। सुनिश्चित करें कि आप उनके लिए स्वच्छ पानी, जैसे पक्षी स्नान का एक स्रोत उपलब्ध कराएं।
– पक्षी के पानी बर्तन और खाने के बर्तन को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित किया जाए। ताकि वे बीमारियों के जोखिम को कम कर सके।