एमडीएम अस्पताल में सबसे अधिक ग्लियोमा ट्यूमर के मरीज आते हैं जो न्यूरोन के चारों और स्थित सहायक कोशिकाओं में अतिवृद्धि के कारण होता है। शोध में यह बात भी सामने आई है कि मोबाइल रेडिएशन से शरीर में होने वाले कई प्रकार के कैंसर में मस्तिष्क में ग्लियोमा प्रमुख है। पिछले कुछ समय से युवाओं में ब्रेन ट्यूमर के मामले बढ़े हैं।
दरअसल मोबाइल की रेडिएशन में भी शरीर की कोशिकाओं को आयनित करने की क्षमता होती है लेकिन यह क्षमता एक्स व गामा किरणों से काफी कम होती है, लेकिन जैसे-जैसे मोबाइल की तकनीक बढ़ रही है, उसके बैण्ड बढऩे से आयनन क्षमता में भी इजाफा होता जा रहा है।
सिरदर्द, उल्टी, कमजोर नजर, मिर्गी, लकवा मारना, याददाश्त कमजोर, शरीर पर नियंत्रण छूटना, बोलने में अटकना। तीसरी-चौथी स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं मरीज
मोबाइल का अधिक समय तक उपयोग से ट्यूमर की आशंका रहती है। वैसे अस्पताल में मरीज ट्यूमर की तीसरी व चौथी स्टेज में आते हैं, इस कारण उनके शरीर के कई अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ चुका होता है।
कैंसर फैलाने वाले कार्सिनोजन तत्वों से लेकर तनाव, रेडिएशन, मौसम, आयु, आनुवंशिकता सहित कई कारकों से ट्यूमर होता है। पिछले बीस सालों में ट्यूमर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।