क्या है प्रोजेक्ट जोधपुर से रोहट के बीच पेयजल लाइन का यह प्रोजेक्ट है। रोहट से पाली तक पेयजल लाइन पहले से बनी हुई है। नई लाइन डालने के बाद वाटर ट्रेन चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वर्तमान में जोधपुर से पाली के बीच जो पेयजल लाइन बिछी हुई है, उसकी मरम्मत की जा रही है, लेकिन यह वाटर ट्रेन का विकल्प नहीं है।
एक नजर में प्रोजेक्ट – 28 करोड़ बजट घोषणा में नई पाइप लाइन के लिए जारी किए गए। – 1 साल में यह प्राेजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है। – 16 करोड़ रुपए इस बार वाटर ट्रेन का खर्च आएगा।
– 100 दिन से भी ज्यादा चलने की उम्मीद है। वाटर ट्रेन उपलिब्ध नहीं, मजबूरीवाटर ट्रेन किसी भी शहर के लिए उपलिब्ध नहीं हो सकती। वाटर ट्रेन चलाने की नौबत आई है, इसका मतलब सिस्टम फेलियर है। लेकिन इसका जोधपुर से समारोह पूर्वक रवाना करना और पाली में स्वागत करना कई सवाल खड़े करता है।
20 साल में नहीं कर पाए समाधान पाली में 2002 में पहली बार वाटर ट्रेन चली और उसके बाद छह से सात बार इसको चलाने की नौबत आ चुकी है। अब तक वाटर ट्रेन पर जितना खर्च किया है, उससे कम में पेयजल लाइन बिछा कर स्थाई समाधान किया जा सकता था।