उदारहण के तौर पर प्रदेश के एेसे कई स्कूल हैं जो अपना रिजल्ट बेहतर बनाने के लिए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। हम आपको ऐसा ही एक उदारहण बता रहे हैं। एक छात्र के दसवीं बोर्ड में कुल 121 अंक आए, जिसमें से 120 अंक सत्रांक के थे।
आर्म्स एक्ट केस में जोधपुर की अदालत से अभिनेता सलमान खान को मिली राहत रोल नम्बर- 1449788 विषय — थ्योरी में —सत्रांक हिन्दी 00 20 अंग्रेजी 00 20 विज्ञान 00 20 सा.विज्ञान 01 20 गणित 00 20 संस्कृत 00 20
STORM : 30 सेकंड में 50 से ज्यादा पेड़ धड़ाम, पंछियों के आशियाने उजड़े निजी स्कूलों को मिलता है फायदा इस मामले में यह छात्र फेल हो गया है। लेकिन सत्रांक के इस खेल में निजी स्कूलों को ज्यादा फायदा मिलता है। सरकारी स्कूल में सत्रांक कम दिए जाते हैं, वहीं निजी स्कूल में पूरे अंक दिए जाते हैं। जिसका फायदा यह होता है कि मुख्य परीक्षा में या तो छात्र कम अंक लाकर भी पास हो जाता है या फिर सत्रांक के भरोसे अच्छी प्रतिशत प्राप्त कर लेता है।
होनी चाहिए कार्रवाई इस तरह से मेधावी विद्यार्थियों के साथ भेदभाव होता है। विद्यार्थी की प्रतिभा का आकलन किए बिना इस तरह सत्रांकों की बंदरबांट करना गलत है। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
-मनीष कुमार आचार्य, जिला संरक्षक, राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन्
INTERVIEW: मॉडल देविका ने कहा, आप सही हैं तो कोई कास्टिंग काउच नहीं कर सकता कोई दिशा-निर्देश नहीं परिणाम जारी होने के बाद विभाग क्या कर सकता है? न तो बोर्ड की ओर से और न ही सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश हैं कि इस तरह के मामले में क्या करना चाहिए।
-नूतनबाला कपिला, उप निदेशक, माध्यमिक शिक्षा जोधपुर मंडल, जोधपुर