इसका मुख्य कारण बजरी माफियाओं की ओर से अंधाधुंध बजरी का दोहन कर लंबे-चौड़े और गहरे गड्ढे करना है। इन पातालनुमा गड्ढों को अपनी जलराशि से भरते हुए मरु गंगा सोमवार को बड़ी खुर्द की सीमा को पार कर गई। आगामी सप्ताह भर तक इसी प्रकार बांध पर चादर चलती रही तो यह जल राशि रामनगर मालकोसनी, भावी, लाम्बा, बाला, हुणगांव, चोपड़ा होते हुए कांकाणी पहुंचेगी, जहां जोजरी नदी की जलराशि का भी समावेश हो जाएगा। नदियों के इस मिलन के साथ ही मरु गंगा गति पकड़ लेगी।
मरू गंगा दर्शनार्थ उमड़ रहे ग्रामीण
जोधपुर के जसवंत सागर बांध पर चादर चलने के नजारे को देखने के लिए अब कस्बे के अलावा जैतारण, निम्बाज, बर, रायपुर, सोजत के अलावा पीपाड़, बोरुंदा, मेड़ता तक के लोग वाहनों में पहुंचने लगे हैं। कई लोगों को सोमवार को बांध के निकट दाल बाटी चूरमा बनाकर यहां विराजित गजानन्द महाराज को भोग लगाया और प्रसादी वितरित की। अब जैसे जैसे मरु गंगा अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही है, किनारे वाले गांव के लोग जल राशि को बधाने पहुंचते हैं। बड़ी खुर्द के सरदारसिंह चारण एवं पारसदान चारण की मौजूदगी में बहते पानी को भावी गांव से लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ चुनरिया ओढ़ाई, महिलाओं ने मंगल गीत गाए। ग्रामीणों ने ढोल थाली के साथ नाच कर अपनी खुशी का इजहार किया। मंगलवार को रामनगर के लोग जलराशि का बधावणा करेंगे।
हजारों बीघा भू भाग में होगी इस बार बुवाई
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि बांध में अगर पानी का ज्यादा समय तक ठहराव रहता है तो न केवल बांध के निकट बल्कि आसपास के 30 से 40 किलोमीटर तक के क्षेत्र के कुओं और नलकूपों का जल स्तर काफी ऊपर आएगा और पानी की गुणवत्ता में भी सुधार अवश्य होगा। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी भी होगी। कृषि विभाग के रामनिवास के अनुसार वर्ष 2022-23 की रबी की बुवाई 18 हजार हेक्टेयर भू भाग में हुई, लेकिन इस बार यह रकबा दुगना हो जाएगा। कुओं का जल स्तर ऊपर आने से इस बार 40 हजार हेक्टेयर भू-भाग में रबी की बुवाई होनी निश्चित है।
चोपड़ा नहर में पानी की आवक घटी
रायपुर बांध पर चल रही चादर के अलावा पठारी क्षेत्र से बह कर आने वाले पानी ने जहां गवाई तालाब को लबालब भरे रखा, जिससे नहर और तालाब के सीपेज के कारण दर्जनों कुओं का पानी ऊपर आ चुका है। सोमवार से इस नहर में पानी की आवक में एक फीट की कमी आई है।